विगत शनिवार "छत्तीसगढ़ हिंदी साहित्य मंडल" की आनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता परमादरणीय गुरुदेव आचार्य अमर नाथ त्यागी जी ने की और शानदार मंच संचालन आदरणीय बड़े भाई प्रख्यात व्यंगकार श्री सुनील पांडेय जी की।। जिसमें सभी कवि व कवयित्रियों ने देशभक्ति और राष्ट्रवाद को मजबूत करने के लिए ओज भरी कविताएं पढ़ीं। जिसमें शोभामोहन और मुझे भी काव्य पाठ करने का अवसर मिला। नई दुनिया और अन्य पत्रिकाओं ने हैं दोनो की राष्ट्रवादी पंक्तियों को प्रमुखता से प्रकाशित किया उसके लिए आभार।
कवयित्री शोभामोहन श्रीवास्तव ने राष्ट्रवाद को मजबूत करती पंक्तियां पढ़ी।
जागो रे मेरे प्यारे, मां भारती के लाल
आराध्य तुम्हारे शंभु विष्णु
जग में तुम हो सबसे सहिष्णु।
अब फुफकारो बन शेषनाग
वक्षस्थल में धधकाओ आग।
कवि मोहन श्रीवास्तव ने भारत की महानता का गान किया।
राम कृष्ण बुद्ध जहां है जन्मे और हुए अवतार।
भारत माता की गोदी में, जनम मिले हर बार।।
सिंधु करे है पहरेदारी, बना हिमालय ढाल।
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