Friday 23 February 2024

छंद:- "छप्पय " श्री राम स्तुति (हुआ राम मय विश्व, और केसरिया तनमन)

छन्द - छप्पय
छप्पय एक ‘संयुक्त मात्रिक छन्द’ है। इस छंद का निर्माण ‘मात्रिक छन्द’ के ‘रोला छन्द’ और ‘उल्लाला छन्द’ के योग से होता है। छप्पय छन्द में कुल 6 चरण होते है।
इसमें प्रथम 4 चरण ‘रोला छन्द’ के होते है, जबकि अंतिम 2 चरण ‘उल्लाला छन्द’ के होते हैं। प्रथम 4 चरणों में कुल 24 मात्राएँ होती है, जबकि अंतिम 2 चरणों में 26-26 अथवा 28-28 मात्राएँ होती है।

उदाहरण में दिये गये उल्लाला छन्द में उल्लाला के तीसरे प्रकार का प्रयोग हुआ है अर्थात दो लघु या एक गुरु पहले रखें उसके बाद 2+13-13मात्राऐं रखें,
छप्पय छन्द एक बहुत ही सुंदर छन्द है जिसमें भक्तिकालीन कवियों ने ढेरों पद लिखे हैं।
रोला के अंत में चार लघु रखने से बहुत मनोरम लगता है।
"छप्पय" उल्लाला का दूसरा प्रकार।

हुआ राम मय विश्व, और केसरिया तनमन।
झंकृत ढोल मृदंग,और नूपुर ध्वनि छन छन।।
भगवा ध्वज लहराय, रहा छप्पर छत ऊपर।
दर्शन करने देव, स्वर्ग से आए भू पर।।
राम भक्त टोली चली ।गांव गांव नगरी गली ।।
गाते प्रभु गुण गीत हैं। धर्म कर्म से प्रीत है ।।१।।

कितनों के बलिदान बाद, आया यह शुभ दिन।
पांच सदी तक नैन, प्रतीक्षा रत थे दिन गिन।।
आज बना संयोग, पधारे मंदिर रघुवर।
घर घर वंदनवार, द्वार पर कलशा सुंदर।।
हुए वीर बलिदान हैं।यह उनका सम्मान है।।
बात गई अब बीत है।हुई सत्य की जीत है।।२।।

जीव सभी धनभाग, अवध की ओर चले हैं।
दीवाली की भांति, चहूं दिशा दीप जले हैं।।
राम राज्य की भोर, हुई भारत के आंगन।
भारतवासी लोग , मुदित आह्लादित मन मन।।
दुष्ट करें व्यवधान हैं । जिन्हें नहीं कुछ ज्ञान है।
पर सबके हिय राम हैं।सजी अयोध्या धाम है।।३।।

कवि मोहन श्रीवास्तव
१९.०१.२०२४, शुक्रवार,८ बजे सांय
खुश्बू विहार कालोनी अमलेश्वर दुर्ग छत्तीसगढ़






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