Friday 23 February 2024

अष्टपदी, श्री कृष्ण स्तुति,(हे नंदलाला, हे गोपाला)

हे नंदलाला हे गोपाला, विनती सुनो हमारी।
लीलाधारी हे सुखकारी, आए शरण तिहारी।।१।।

मुरली वाले ब्रज के ग्वाले, यशुदासुत बलिहारी।
हे जीवनधन दे दो दर्शन, हम हैं दीन भिखारी।।२।।

रूप कलेवर तन में जेवर, पट पीताम्बर धारी।
मोर मुकुट कर में मृदु बंशी मूरत है अति प्यारी।।३।।

कटि मणि करधन नूपुर झन झन , अद्भुत रूप बिहारी।
दिव्य वसन भूषण पहने प्रभु ,नन्दलला सुखकारी।।४।।

नाग नथैया धेनु चरैया, मोहन मदन मुरारी।
चंचल चितवन भगत मगन मन, हर्षित ग्वाल गुआरी।।५।।

रास रचइया निधिवन छइंया, राधा रमण बिहारी।
कुंचित लट लटकत घुंघराले, शोभा अनुपम न्यारी।।६।।

राधा प्यारे जगत दुलारे,सहज सरल अविकारी।
बंशी की धुन सुन के सब जन, दृग जल बरसत भारी।।७।।
सब कुछ हारे नाथ सहारे ,कर दो कृपा मुरारी।
शरण पड़ा प्रभु के यह मोहन, चाहे कृपा तुम्हारी।।८।।

कवि मोहन श्रीवास्तव
दिनांक :- ०५.०२.२०२४, सोमवार
खुश्बू विहार कालोनी अमलेश्वर दुर्ग छत्तीसगढ़
रचना क्रमांक १३९८

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