चाह नही मुझे ऐसी भेंट का, जब राहों में मैं फेंका जाऊं । मैं तो अपनी डाली में मस्त हूं, जहां हंसते हंसते मैं मर जाऊं ॥ ईनाम पुरष्कारों की नही चाह, जब नहीं मिले तो दुःख पाऊं । मैं तो अपनी डाली में मस्त हूं, जहां हंसते हंसते मैं मर जाऊं ॥ चाह मुझे उन अच्छे ईंषानों का, जिनके दिल मैं बस जाऊं । चाह मुझे उन सत्य पथिक का, जिनके चरणों में मैं चढ़ जाऊं ॥ चाह मुझे उन हवाओं का, जब मैं खुशबू उनके संग बिखराऊ । चाह मुझे भगवान के चरणों का, जहां हसते हसते मैं चढ़ जाऊं ॥ मोहन श्रीवास्तव (कवि)
Tuesday, 6 July 2021
छत्तीसगढ़ हिंदी साहित्यमंडल की 24सवीं काव्य गोष्ठी
विगत रविवार को आचार्य इंजीनियर श्री अमरनाथ त्यागी जी और श्री सुनील पांडेय जी के कुशल मंच संचालन में छत्तीसगढ़ हिंदी साहित्यमंडल द्वारा आयोजित आन लाइन विशेष काव्यगोष्ठी का ऐतिहासिक आयोजन किया गया।जिसकी विशेषता यह रही कि यह छत्तीसगढ़ हिंदी साहित्य मंडल की 24सौंवी काव्यगोष्ठी थी। जिसमें मेरी श्रीमती शोभामोहन श्रीवास्तव जी के साथ मुझे भी भाग लेने का अवसर मिला।
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