चाह नही मुझे ऐसी भेंट का, जब राहों में मैं फेंका जाऊं । मैं तो अपनी डाली में मस्त हूं, जहां हंसते हंसते मैं मर जाऊं ॥ ईनाम पुरष्कारों की नही चाह, जब नहीं मिले तो दुःख पाऊं । मैं तो अपनी डाली में मस्त हूं, जहां हंसते हंसते मैं मर जाऊं ॥ चाह मुझे उन अच्छे ईंषानों का, जिनके दिल मैं बस जाऊं । चाह मुझे उन सत्य पथिक का, जिनके चरणों में मैं चढ़ जाऊं ॥ चाह मुझे उन हवाओं का, जब मैं खुशबू उनके संग बिखराऊ । चाह मुझे भगवान के चरणों का, जहां हसते हसते मैं चढ़ जाऊं ॥ मोहन श्रीवास्तव (कवि)
Tuesday, 6 July 2021
वागीश्वरी सम्मान
देश की प्रतिष्ठित सामाजिक संस्था वक्तामंच मानवता की सेवा और सम्मान के लिए प्रतिबद्ध संस्था है, जिसके द्वारा समाज के विविध विधाओं के सृजनकारों को सम्मानित करने की एक नैष्ठिक परम्परा चलायी जा रही हैं प्रतिभाओं का सम्मान किसी बढ़ते वृक्ष को खाद पानी देने और सेवा करने जैसा परम पावन कृत्य है । समाज में मनुष्यता और शुभता को प्रकाशित करने के लिए वक्तामंच का योगदान अतुलनीय है। वक्तामंच के सभी समर्पित सेनानियों का शत् शत् वंदन हार्दिक अभिनंदन एवं "वागीश्वरी सम्मान" देने के लिए वक्ता मंच का बहुत बहुत आभार..
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