(मंदार माला छंद "वर्णिक")
"ध्याऊँ भजूँ राम के नाम को मैं"
ध्याऊँ भजूँ राम के नाम को मै, हिया और कोई नहीं नाम है ।
गाऊँ बना गीत मैं राम जी के, नहीं गीत कोई बिना राम है।
छाये सभी में समाये सभी में, बिना राम के ना कोई धाम है।
सौदा हमारा सभी है अधूरा, बिना राम कोई नहीं दाम है।।1।।
आकाश पाताल पृथ्वी सभी में, दिखे जो जहाँ भी नजारे वही ।
शीतांशु आदित्य नक्षत्र तारे, बनाते वही हैं उझारे वही ।।
ब्रह्मा महादेव लक्ष्मीविलासी, सभी जीव के तो सहारे वही।
ब्रह्मांड के ये सभी काज भक्तो, बिगाड़े वही हैं सवाँरे वही ।।2।।
माता पिता पुत्र भाई सगे हैं, सखा कंत प्यारे सभी नाथ है।
ऐसा नहीं ठाँव कोई कहीं भी, जहाँ आप स्वामी नहीं साथ हैं।।
है जीव सारे खिलौने तुम्हारे, झुकाये सभी ने तुम्हें माथ हैं।
गाना गवाना जगाना सुलाना, हँसाना रुलाना प्रभो हाथ हैं।।3।।
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