(गंगोदक सवैया, वर्णिक छंद)
(राधारानी का कृष्ण वियोग)
"रो रही राधिका"
रो रही राधिका श्याम की याद में, और कोई उसे है सुहाता नहीं।
है बनी बाँवरी चैन खो के लली, हास उल्लास आनंद भाता नहीं।।
अर्कजा तीर बैठी हुई सोचती, क्यों पिया पत्र संदेश आता नहीं।
प्रात से साँझ होती प्रतीक्षा घनी, आ रहे श्याम कोई बताता नहीं।।1।।
होश खोये हुए नैन खोजे पिया, केश फैले घने नैन आँसू भरे।
भूख लागे नहीं प्यास जागे नहीं, जेठ से ताप में प्रेयसी यूँ जरे।।
नींद आती नहीं याद जाती नहीं, भोर होते नदी तीर जाया करे।
वेदना अंग में है समाई हुई, श्याम संदेश दे कौन पीड़ा हरे।।2।।
गीत प्यारे सुहाने सुनी जो कभी, बाँसुरी श्याम की याद आती रही।,
हाथ में हाथ लेके चली साथ जो, प्रेम सारा पिया पे लुटाती रही।।
बोलती ठोलती हैं सखी आज तो, नैन नीचे किये वो लजाती रही।
मौन साधे हुए बैन से नैन से, नित्य आँसू बहा के बुलाती रही।।3।।
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