"काली स्तुति"
"महाकराली विकराल काली"
महाकराली विकराल काली,कटार लेके लड़ने चली है।
निकाल जिव्हा गल मुंडमाला, निशाचरों को हनने चली है।।
किये सवारी शवयान देखो, किरीटधारी धनु को चलाती।
गदा धरे है कर में भवानी, मलीन पापी दल को जलाती।।
उदारदानी जय माँ भवानी, हरो सभी के दुःख दर्द सारे।
सिवा तुम्हारे जग में न कोई, रहें सदा ही मइया सहारे।।
कवि मोहन श्रीवास्तव
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