यदि मै हो जाता मंत्री,
तो राजमहल मे रहता ।
दिन रात अप्सरायें सेवा करती,
और अक्सर दौरों पर होता ॥
मेरी जान पहिचान बहुतों से होती,
और कई पुलिस अधिकारी से ।
वे सब मुझको सलाम मारते,
चलता मै सरकारी गाड़ी से ॥
मै खूब चिकन-तन्दूरी खाता,
और पीता अंग्रेजी शराब ।
खूब रंग रलियां करता,
मिलता मुझे शवाब ॥
मै अपने निर्वाचन क्षेत्र मे,
खूब आगजनी करवाता ।
फ़िर सरकारी मशिनरियों से,
उन्हे ठीक करवाता ॥
मेरे क्षेत्र की जनता कहती कि,
मंत्री जी ने किया बहुर उपकार ।
हम सब की बहुत मदद की,
उन्हे ही जीताएंगे अबकी बार ॥
इस तरह आगामी चुनावों मे ,
दुबारा कुर्सी पा लूंगा ।
बाकी जो बचा कसर होगा,
उसको भी पूरा कर लूंगा ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
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चंद्रपुर महा.