झूम रही धरती, है आज,
गगन जोर से, मुस्का है रहा ।
सबके दिल मे, है उमंग,
तिरंगा शान से, लहरा है रहा ॥
भारत माँ का, प्रहरी हिमालय,
जोर-जोर से, गा है रहा ।
धरती का स्वर्ग, कश्मीर हमारा,
हम सब के दिलों, को भा है रहा ॥
नभ मे बादल, ढोल बजाते,
भारत माँ खुशी से, नाच रही ।
पर रह-रह के, अपने बेटों की याद,
आज उसे भी, सता रही ॥
हम सबका ये, शान तिरंगा,
लहर-लहर, लहरा रहा है ।
प्रसन्न हो रही, आज है गंगा,
सागर तो आज, दुलरा रहा है ॥
पर हम सबकी, खुशी के असली हीरो,
ये महान, हमारी सेना है ।
हम सबको भी, मिल के उन्हें,
हर-पल दिल से दुआएं देना है ॥
हम सबको भी, मिल के उन्हें,
हर-पल दिल से दुआएं देना है.....
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
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14-08-2013,wednesday,2am,(722),