Sunday 9 October 2011

जहां बॄद्धों को सम्मान नही मिलता हो

वह घर नही खण्डहर है वह,
जहां वृद्धों को सम्मान नही मिलता हो !
वह गांव नही श्मशान है वह,
जहां औरों का अपमान भी होता हो !!

उनके ही आशीर्वचनों से,
आज हम ईज्जत की रोटी खाते हैं !
उनको ही घर से बाहर कर,
बस हम झूठी शान दिखाते हैं !!

आज ज़ुल्म ढहा रहे हैं हम उन पर,
कल हमारी  भी बारी आएगी !
आज बेमौत मार रहे हम उनको,
कल हमारे लिए भी यम कि सवारी आएगी !!

बदद्दुआ किसी का लेकर के,
बस झूठी शान दिखाना ठीक नही!
पाप की कमाई के बल पर,
कमज़ोरो को सताना ठीक नही !!

ये भी मत भूलो कभी भी तुम,
कि एक दिन बूढ़े तुम भी होगे !
अभी अय्याशी कि ज़िंदगी जी लो तुम,
कल तुम्हे भी हिसाब देने होंगे !!

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-२४/०८/२००१ ,शुक्रवार,सुबह बजे,
वाराणसी- कोचिन एक्सप्रेस,



भारत के मुशाफ़िर खाने मे


लुट रहे आज हम देखो जरा,
मंदिर के गलियारो में !
बिक रहा देखो ईमान आज ,
बेइमानी के बाजारों में !!

ज़िश्म -फ़रोशी के अब धंधे,
पर्दे के पिछे चल रहे हैं !
सत्य के पथ पर चलने वाले,
ज़िंदे ही आज जल रहे हैं !!

जो धर्म के कभी रखवाले थे,
वे अधर्म का मार्ग अपनाने लगे !
भारत की सभ्यता को भुला करके,
अंग्रेजी फ़ैशन को भुनाने लगे !!

संचार क्रांति जब से आया,
बस लाज शर्म है दिखावे के !
लुटा रही है ईज्जत वे अपनी,
बेढंगे पहिनावे से !!

कानून-न्याय बिक रहा है आज,
दौलत के पैमाने में !
अपराधियों को ताज पहनाया जाता,
भारत के मुशाफ़िर खाने में !!
अपराधियों को ताज पहनाया जाता,
भारत के मुशाफ़िर खाने में .......


मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-०५/०५/२००१,बुद्धवार,
सुबह बजे,
थोप्पुर घाट ,धर्मपुरी, (तमिलनाडु)