Monday 27 May 2013

आ जावो मेरे बादल

जावो मेरे बादल,
तेरा ही सहारा है
तपती हुई गर्मी है,
इसिलिये पुकारा है

सब जीव तो गर्मी से,
दिन रात तप रहे हैं
बारिस की आश मे देखो,
पल-पल तो जी रहे हैं

धरती है सुख रही,
पानी बिन सब व्याकुल
कहीं पीने को पानी नही,
कहीं प्यास से सब आकुल

पानी के लिये देखो,
आपस मे लड़ते हैं
अब बरसो हे बादल,
हम विनती करते हैं

तन से देखो सबके,
बहता तो पसीना है
बेदर्दी गर्मी से  ,
मुश्किल तो जीना है

घनघोर घटा घेरो,
जी भर के तुम बरसो
बारिस की बूंदों से,
सब को तो सुखी कर दो

जावो मेरे बादल,
तेरा ही सहारा है
तपती हुई गर्मी है,
इसिलिये पुकारा है

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-२७--२०१३,सोमवार,
रात्रि .३० बजे,पुणे,महा.



Thursday 23 May 2013

वे खिलाड़ी नही खेल के दुश्मन हैं

वे खिलाड़ी नही खेल के दुश्मन हैं,
जो मैच फ़ेक्सिंग कर पैसा कमाते हैं
वे यार नही गद्दार हैं वो ,
जो खेल प्रेमियों को आहत कर  जाते हैं॥

हमारे विश्वाश को तोड़ा है उन सबने,
जो मैच फ़िक्सिंग कर जाते हैं
अब शंकित हृदय कहता है शायद ,
मैच के पहले ही परिणाम बन जाते हैं

मैच फ़िक्सिंग का यह गोरखधंधा,
शायद और भी खेलों मे होता होगा
जहां पैसों के लालच मे कोई खिलाड़ी,
अपने ईमान को बेचता होगा

ऐसे हार - जीत के सौदागरों का,
चुन -चुन कर पहचान किया जाये
जिसे देख -देख करऔरों के दिल भी कांप उठे,
उन्हें ऐसी कठोर सजाएं दिया जाए

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
//२०००
रविवार ,चंद्रपुर महा.