Saturday 15 October 2011

आओ प्रभुराम का (भजन)


आओ प्रभु राम का , दिल से तो हम सुमिरन कर लें !
प्यारे घनश्याम का, मुख से तो हम भजन कर लें !!

अपने श्रीराम तो , तीर धनुर्धारी है !
प्यारे श्री कॄष्ण तो, मुरली वाले मुरारी है !!

माता कौशल्या के श्रीराम ,प्राण प्यारे है !
यशोदा मइया के श्री कॄष्ण तो दुलारे है !!

दुष्ट रावण को, श्री राम ने तो मारा था !
पापी कंस को श्री श्याम ने संहारा था !!

दोनो एक हि है,चाहे राम या घनश्याम कहो !
चाहे सीतापति या राधा के श्री श्याम कहो !!

जब -जब धर्म का नुकसान बहुत होता है !
तब किसी रूप मे , उनका अवतार होता है !!

प्यारे भक्तों को प्रभु, अपनी शरण मे लेते है !
वे तो कण -कण मे, अपना वास किया करते है !!

उन्हे जिस रुप मे कोइ याद किया करते है !
वे उसी रुप मे उनके विपद को हरते है !!

ये तो माया कि दुनिया है, इसमे किसी को वक्त नही !
अच्छे कामो के लिए किसी को फ़ुर्सत है नही !!

सब कोइ आए है ,कोइ यहा अमर है नही !
जाना सबको पड़ेगा , बात ए मानो तुम सही !!

इसलिए प्यारे प्रभू का ,आओ हम सुमिरन कर लें !
अपने आराध्य का, दिल से तो हम भजन कर लें !!

आओ प्रभु राम का, दिल से तो हम सुमिरन कर लें !
प्यारे घनश्याम का, मुख से तो हम किर्तन कर लें !!

मोहन श्रीवास्तव
दिनांक-२८/०७/२००० , शुक्रवार, दोपहर- १२.१० बजे ,
चंद्रपुर (महाराष्ट्र)

हीरो बनने के फ़ैशन मे

हीरो बनने के फ़ैशन मे ,


वे अपने संस्कृति को भुलाते जाते हैं !
डिस्को- पाप पे कमर मटकाते ,
पर पढ़ने-लिखने से घबराते हैं !!

फ़िल्मी नशा है दिल मे उनके ,
और उन्हे इश्क का रोग लग जाता है !
हर जगह ही फ़िल्मो की चर्चा करते ,
और उन्हे प्यार का भूत सताता है !!

पढ़ाई का बहाना करते-करते ,
वे लव का पहाड़ा पढ़ते हैं !
बेहयायी की मदिरा पिते-पिते,
वे सपनो की चढ़ाई चढ़ते हैं !!

मदहोश जवानी मे अन्धे हो,
वे अपनी पहचान भुला रहे हैं !
अपने भविष्य की चिंता नही उन्हे ,
वे अपनी तकदीर जला रहे हैं !!

तरह-तरह के नशे का सेवन कर,
वे स्व्यम नशा बन जाते हैं !
गलतियां अभी करते-करते ,
फ़िर आखिर मे पछताते हैं !!
गलतियां अभी करते-करते ,
फ़िर आखिर मे पछताते हैं.....

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-२२/०७/२००० ,शनिवार ,दोपहर - १२.१० बजे ,
चंद्रपुर (महाराष्ट्र)


हम नन्हे-मुन्ने है बच्चे


हम नन्हे-मुन्ने है बच्चे ,
हमे प्यार की नजर से देखो !
हम सब है दिल के अच्छे ,
नफ़रत से हमे मत देखो !!

हम देश की भावी आशा ,
रक्षा हम करेगे तुम्हारी !
कभी आने नही देगे निराशा ,
ये बात समझ लो हमारी !!

हम वीरो की भूमि मे जन्मे ,
हम वीर बनेंगे ऐसा !
हम वतन पे जान लुटा देगे ,
हम मरेगे वीरो ही जैसा !!

श्रद्धा से यदि हमे देखोगे ,
हम भगवान नजर तुम्हे आएंगे !
शैतानो कि दॄष्टि से देखोगे ,
तो हम यमराज बनके तुम्हे डराएंगे !!

हमसे यदि प्यार को लेना है ,
तो हमे तुमसे भी प्यार जरुरी है !
हमे ईंसानियत की राह पे चलना है ,
बस यही धर्म हमारा मज़बूरी है !!

हम नन्न्हे -मुन्ने है बच्चे.......

मोहन श्रीवास्तव
दिनांक-१८/०७/२००० ,मंगलवार , दोपहर - १२.१० बजे,
चंद्रपुर (महाराष्ट्र)

ज़रा उनके भी घरों मे झाक कर देखो


जरा उनके भी घरों मे झांक के देखो ,
जिनकी पेट की भूख नही मिट पाती !
मां जब कुछ खाने को ले आती ,
तब बेटी मा के कपड़ों मे बाहर जाती !!

दो ही कपड़ों को मा -बेटी, और,
बाप-बेटे बारी -बारी से पहनते हैं !
जब आज मिला तो कुछ खा वो लिए,
नही भूखे पेट ही वो रहते हैं!!

हम अपने धार्मिक स्थलों को ,
सोने -चांदी से सजाते हैं !
हमे स्वर्ग मे सुख आराम मिले ,
हम यह सोच के वहां धन को लुटाते हैं !!

भूखों को भोजन नंगों को वस्त्र दें ,
पहले यह काम हमारा हो !
ज़रुरत मंदों की सेवा करना ,
यह दिल की आवाज हमारा हो !!

ऐसे लोगों कि सहायता करने से ,
आपका दिल खुशियों से भर जाएगा !
परमेश्वर भी खुश होंगे आप से ,
और आपका जीवन धन्य हो जाएगा !!

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-१६/०६/२००० , शुक्रवार,सुबह - .१० बजे

चंद्रपुर (महाराष्ट्र)