Saturday 27 July 2013

बिता अषाढ़ , सावन है आया

बिता अषाढ़सावन है आया
हरियाली, धरती पर छाया

मेघा बरसे, धीमे जोर
काले बादल, कर रहे शोर

कभी रिम-झिम, रिम-झिम, सी फुहार
मन मे जगाये, देखो प्यार

बिरहन के दिल में, उठ रहा पीर
मन तो हुआ, जा रहा अधीर

गिरती बूंद, लगता है शोले
मोर मस्त, होकर के बोले

जोड़े तो हो रहे, प्रसन्न
पर दुःखी हो रहे, हैं बिरहन

सुरज छुपा हुआ, बादल में
चाँद दिखता, देखो गगन में

आकाश धरा के, बीच में बादल
धरती का मन, हुआ है पागल

बिता अषाढ़सावन है आया
हरियाली, धरती पर छाया

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
26-07-2013,friday,10:30pm,
pune,maharashtra.