Tuesday 10 December 2013

पुण्य की कमाई मे


कोई कैसे जी पाए,
इस घुटन भरी मंहगाई मे !
जो चाहे वो ना मिल पाए,
इस पुण्य कि देखो कमाई मे !!

हर एक चीज मे आग लगी है ,
चाहे राशन-तेल गोभी हो !
फ़ल दूध की बात ही क्या,
ये मिले तभी जब कोई रोगी हो !!

देशी घी के जगह अब,
बनस्पति घी से काम है चल जाता !
शरबत की जगह देखो अब,
चाय से काम है निकल जाता !!

पगार मिलने के पहले ही,
लम्बी लीस्ट बनी रहती !
मकान किराया अनेको बिल से ,
लीस्ट हमेशा सजी रहती !!

पैसे खतम हो जाते है मगर,
फ़र्माईस खत्म नही होते !
इस कमर तोड़ मंहगाई मे ,
लोगों के दिल रोते रहते !!

सच्चाई पे चलने वालों का,
बुरा हाल है हो जाता !
पर बेईमानी के पैसों से ,
हर चीज सुलभ है हो जाता !!

पर हर पाप का अंत बुरा होता है,
और इसमें फूलों से कांटे उगते हैं
 सत्य तो सत्य होता है मित्रों,
जहां कांटो से भी फूल ही खिलते हैं
 सत्य तो सत्य होता है मित्रों,
जहां कांटो से भी फूल ही खिलते हैं......

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक -१५/१२/२००३ ,रात-००.४५ बजे,

नामक्कल (तमिलनाडु)