आया राखी का त्योहार,
भाई-बहनों का प्यार.
कैसे आज ये मिलने लगे ।
बहना राखी बांधे आज,
भाई देता आशिर्वाद,
खुशी आखों से तो झरने लगे ॥
बहनें खिलाती पकवान,
दुआ मांगती भगवान,
मेरी ऊमर भी भइया को लगे ।
चाहे रहें कहीं दूर,
उनको भइया पे गुरुर,
वो तो लाखों मे एक लगे ॥
उनका भाई सुरज जैसा,
जग मे कोई नही वैसा,
वो तो भाइयों पे नाज करे ।
उनको इतना है अहसास,
भइया बचायेंगे लाज,
जब भी उनपे कोई बिपदा पड़े ॥
भाई रखते मन मे इच्छा,
हम करेंगे तेरी रक्षा,
कभी कोई आंच न तुझपे आये ।
कभी होना ना उदास,
हम रहेंगे तेरे पास,
कभी तेरी लाज न जाने पाये ॥
आया राखी का त्योहार,
भाई-बहनों का प्यार.
कैसे आज ये मिलने लगे ।
बहना राखी बांधे आज,
भाई देता आशिर्वाद,
खुशी आखों से तो झरने लगे ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
18-08-1999,wednsday,2.10pm,
chandrapur,maharashtra.