सीय-राम का सुमिरन करके, मैं चंद शब्द लिखना चाहूं ।
मन में ध्यान पवन-सुत जी का,बस राम-राम करता जाऊं ।।
काक भुशुंडि-गरुण जी का है, यह अनुपम संबाद ।
कलियुग के कुछ गुण-अवगुण हैं, जो बीत रहा है आज ।।
यह युग ऐसा भाई मेरे, जो घड़ी-घड़ी बदला जाता ।
जिसको देखो सब अपने धुन,में कैसा मस्त हुआ जाता ।।
इस कलियुग के नर-नारी सब, नित पाप कर्म में रत होंगे।
सभी धर्म-सदग्रंथ सदा ही, पापों से सदा दबे रहेंगे!!
ढोंगी और पाखण्डी-गण, अपने अलग धर्म फ़ैलाएंगे !
अपने को ही वे राम-कॄष्ण, ईसा -मसीह बतलाएंगे !!
सब लोग उन्ही कि माया में, नित-नित फ़सते जाएंगे !
अपने और अपने कुल का ही, दोनों का पुण्य नसाएंगे !!
वरण -धर्म चारों आश्रम का, ग्यान किसी को ही होगा !
वेदों व धर्म - पुराणों का विरोध , चारों तरफ़ होगा !!
ब्राह्मण वेदों को बेचेंगे, राजा व्यभिचारी होगा !
नही कोई कानून-धर्म ,अनुशाशन-न्याय नही होगा !!
कोर्ट-कचहरी भी उसी की होगी, जो होगा अच्छे पैसे वाला !
राजा-मंत्री भी उसी के होंगे, जो होगा मुंह सफ़ेद, दिल का काला !!
जो राह जिसे पसंद होगा,वह उसी राह पर जाएगा !
जो जादा गाल बजाएगा,तो पंडित वही कहलाएगा !!
जो पाखण्डी-ढोंगी अधिक होगे,तो वही संत कहलाएंगे !
जो दूसरों का धन हड़पेंगे, वे वुद्धिमान कहलाएंगे !!
गुनी वही कहलाएगा,जो झूठ मसखरी किया करेंगे !
तपसी प्रसिद्ध वही होंगे,जिनके नख और जटा बढे रहेंगे !!
अशुभ वेष आभूषण धारी जो मांस-मच्छ को खाएंगे !
वे ही कलियुग के पूज्यमान, व सिद्ध पुरुष कहलांगे !!
औरत के बस मे सारे नर, बंदर कि भांति जो नाचेंगे !
ब्राह्मण को ग्यान शूद्र देंगे, और ज़नेऊ देकर कुदान लेंगे !!
सारे नर काम के बस मे हो, लोभी-क्रोधी हो जाएंगे !
त्याग के सुख-निधान पति को नारी,पर पुरूष को अपनाएंगे !!
सौभागिनीं स्त्रियों के तन, आभूषणों से रहित होंगे !
नए-नए श्रृंगार से सज्जित, विधवों के शरीर होंगे !!
गुरुवों व शिष्यों का मेल-जोल, अंधे-बहरा जैसा होगा !
गुरुवों का मकसद ग्यान के बदले ,शिष्यों से लेना पैसा होगा !!
बच्चों को उनके मां-बाप, प्यार से पास बुलाएंगे !
जिस तरह से उनका पेट भरे ,वे वही नीति सिखलाएंगे !!
जो अपना अति विश्वाशी होगा,वे अपने को ही धोखा देंगे !
कौड़ी-मात्र के लिए ही वे,उनके प्राणों को हर लेंगे !!
शूद्रों की नज़र वे ही ब्रह्मण,जो ब्रह्म ग्यान का ग्याता हो !
चाहे वह क्षत्रिय,वैश्य और, शूद्र जाति के कुल का हो !!
नारी के मरने पर गॄह-स्वामी,संन्यासी तुरत बन जाएंगे !
ब्राह्मणों से अपने को पुजवा कर ,दोनों लोकों को नसाएंगे !!
शूद्र जप-तप को करके,धर्म-दान किया करेंगे !
उंचे आसन पर बिराजमान हो ,पुराणों कि बात कहा करेंगे !!
ब्राह्मण निरक्षर हो कर के, लोभी-कामी बन जाएंगे !
दुरा चार करते करते वे ,दुष्टों के स्वामी बन जाएंगे !!
आगे का वर्णन लिखते-लिखते, रोम मेरे सिहर रहे हैं !
भावी पापों को सोच-सोच कर, हम भी बहुत डर रहे हैं !!
ऊंची-निची जातियों का, कोई निशान नही होगा !
अवसर को देख-देख कर, वही जाति बनना होगा !!
श्रेष्ठ कुल की बेटियों की शादी, मध्यम या नीच कुलों मे होगी !
सब कोई मतलब के होंगे ,और लाज-शर्म नही होगी !!
संत-महात्मा अपने घरों को, कई तरह से सवारेंगे !
तपसी धन-धान्य से पूरित होंगे, और गॄहस्थ दरीद्र हो जाएंगे !!
सती स्त्रियों को भाई ,नीच पति घर से निकालेंगे !
उनके बदले मे नौकरानियों को,अपने संग मे अपनाएंगे !!
मां-बाप को उनके बेटे ,शादी के पहले तक, मानेंगे !
पत्नी के घर मे आते ही ,वे परिवार को दुश्मन जानेंगे !!
ससुराल प्यारा होगा उनका,बाकी सब कुछ बेगाने होंगे !
सास-ससूर-साले-सरहज,साली के दिवाने होंगे !!
राजा पाप से ग्रसित हो कर ,बस धर्म का ढोंग रचाएंगे !
बिना अपराध,प्रज़ा को अपने,असहनीय दण्ड दिलाएंगे !!
जो वेद-पुराण को नही मानेगा,वो ही सच्चा हरि-भक्त कहलाएगा !
जिसकी पहुंच अधिक होगी,तो वही नौकरी पाएगा !!
बारम्बार अकाल पड़ेगा,और बरसात नही होंगे !
बिन अन्न से व्याकुल हो कर के ,सब प्राणों को अपने त्यागेंगे !!
बीजों को बोने से भाई ,पौधे उनमे नही पनपेंगे !
घनघोर घटा घेर कर के ,फ़िर भी बादल नहि बरसेंगे !!
स्त्रियों का भूख भोजन के बदले ,नित नए-नए गहने होंगे !
तन-दर्शी वाले कपडे ,जो विलायती फ़ैशन होंगे !!
आदमी रोग से पिडि़त हो,बिन कारण अभिमान दिखाएंगे !
नए-नए बिमारियों से सब परेशान हो जाएंगे !!
छोटा सा जीवन जिएंगे, पर गुमान अनोखा सा होगा !
युग-युग तक जैसे मरेंगे नही,अभिमान चट-पटा सा होगा !!
काम के बस मे नर-नारी बेटी- बहन नहीं मानेंगे !
अपनी तृप्ती के लिए वे ,अनुचित काम कर डालेंगे !!
चोरी-डाका-लूट-पाट-, अपहरण दिन-दहाड़े होंगे !
जो जादा पैसा खर्चेगा,तो उसी की सरकारें होंगे !!
भूख से व्याकुल हो कर के, सब नर-मांस को खाएंगे !
आकाश- चंद्र पर छुट्टी बिताने,लोग वहां पर जाएंगे !!
सभी पुराने रीति-रिवाज ,स्वयं ही कम हो जाएंगे !
लोग औपचारिकता बस ही,बे मन से उसे मनाएंगे !!
ईंसान का बकरे सा होगा,जिसको जब चाहा मार दिया !
अबला की इज्जत लूटेंगे सब,जिस पर कभी काम ने वार किया !!
ईनाम-पुरष्कार उन्हीं को मिलेंगे,जिनका पहुंच अधिक होगा !
ईमानदारी पर चलने वालों को ,अपना घर गिरवी रखना होगा !!
गुंडा-गर्दी के बल पर,तब बड़े-बड़े नेता होंगे !
वोटों के खातिर देश को वे, आगे बढने से रोकेंगे !!
शूद्र राज चलाएंगे ,व उनका बोल-बाला होगा !
ब्राह्मण, क्षत्रिय,वैश्यों के, अकल का दिवाला होगा !!
उनको होश तब आएगा,जब उनकी बड़ी तबाही होगी !
आपस मे फ़ूट के कारण ,उनकी बड़ी बर्बादी होगी !!
बाद मे सभी जाति-भाई,मिल-जुलकर साथ ,बिताएंगे !
अपने पुरखों के विरासत को .कई तरह से सजाएंगे !!
मोहन कहते हैं,कलियुग मे,अनहोनी बातें बहुत होंगी !
केवल श्री राम के नामों से, लोगों की मुक्ती होगी !!
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
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दिनांक-०६/१०/१९९१ ,
रविवार ,समय - प्रातः ५.३० बजे
एन.टी.पी.सी. दादरी, गाजियाबाद(उ.प्र)