Saturday 10 March 2012

बेवफ़ा तुम ना बनो


बेवफ़ा, तुम ना बनो, मेरे मुहब्बत की परी,
हमसे रुठी सनम ,तो मै , कहा जाऊंगा !
तेरी चाहत मे, सजाए हुए है, मै सपने,
अपने दिल को, समझाने , कहां जाऊंगा !!

कैसे हमने है, बनाए, सपनों का महल,
तू अगर लौ को, लगाई, तो ये जल जाएगा !
उनसे डरना ही था, तो प्यार क्यों किया हमसे,
तू अगर डर सी गई ,तो प्यार ये मर जाएगा !!

मेरी कविता हो, शमा हो और शाने गजल,
तेरे किताबों सी, मुखड़े को, मै पढ़ता  रहूं !
मेरी चन्दा हो ,साया हो ,दिल की धड़कन,
तेरी नटखट, सी अदावों ,पर मै मरता रहूं !!

अपने साए से, जुदा ना ,करना मुझको,
तुमने अपने से, जुदा की, तो बिखर जाऊंगा !
अपने ज़ुल्फ़ों मे, छिपा लो, तुम मेरी शमा,
इस अन्जाने से, शहर मे, मै किधर जाऊंगा !!

कभी डरना नही ,रोना नही,हसती रहो,
तुझे पलकों मे, मै अपने, छिपा रखुंगा !
कभी कांटा , चुभे प्यारी, तेरी पावों मे,
तेरी इस मांग को, मै खुशियों, से  भर दूंगा !!

बेवफ़ा तुम ना, बनो मेरे ,मुहब्बत की परी,
हमसे रुठी तो, सनम मै ,कहां जाऊंगा !
तेरी चाहत मे, सजाए हुए, है मै सपने,
अपने दिल को ,समझाने मै, कहां जाऊंगा !!

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
२०//१९९९,बृहस्पतिवार,शाम-०४:००बजे,

चन्द्रपुर महा.


मां की ममता

मेरे लाल, आंचल मे छिपा लूं मै तुम्हें !
कब से रूठा है तू ,सीने से लगा लूं मै तुम्हें !!
मेरे लाल...........

तू जब नन्हा सा था खिलौना,मेरी इन बाहों का !
जब कभी हंसता था, तो खुशियां मिलती थी हमें !!
मेरे लाल........

तेरे रोने से पहले, मै भी रोने लगती !
लोरियां गाती हुई, थपकी से सुलाती थी तुम्हें !!
मेरे लाल.........

तेरे सोने जैसे मुखड़े, को सजाती रहती !
सारी दुनिया की ,नज़रों से बचाती थी तुम्हें !!
मेरे लाल.........

जब कभी सीने से ,मेरे तुम जुदा होते थे !
ठंडी रातों मे, गर्म बिस्तर पे लिटाती थी तुम्हे !!
मेरे लाल................

अब जब तू दूर, चला ही गया है मेरे से !
तू जहां भी रहे ,तुझे लाखों है दुआएँ मेरी!!
मेरे लाल........

कभी ठोकर ना लगे, कांटा चुभे तेरे पावों में !
मै मिलुंगी , तू जहां भी रहे तेरे राहों में !!
मेरे लाल............

तूं सदा खुश रहे, और लगे मेरी ऊमर !
तू सूरज की तरह चमके,और आसान हो जीवन का सफ़र !!

मेरे लाल, आंचल मे छिपा लूं मै तुम्हे !
कब से रुठा है तू,सीने से लगा लूं मै तुम्हे !!

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
१७//१९९९,सोमवार,शाम बजे,

चन्द्रपुर महा.