अंकल मुझे ना सतावो,
प्लीज ! भइया मुझे बचा लो ।
मै पांव पड़ रही हूं दोनो की,
मुझे अपने घर जाने दो ॥
हे भगवान करो मेरी रक्षा,
इन पापियों से हमें बचा लो ।
है कोई जो सुन रहा चीख मेरी,
आकर मेरी लाज बचा लो ॥
जब सुनेंगे मेरे मम्मी-पापा,
तो वे जीते जी मर जायेंगे ।
लुट गई है बहना की ईज्जत,
भाई कहां मुंह को दिखायेंगे ॥
जींदगी नर्क बन जायेगा मेरा,
और मेरे खुशियों मे आग लग जायेगा ।
सपने सब हैं टूट जायेंगे,
और मेरे दिल मे दर्द सतायेगा ॥
जब कोई अबला या गुड़िया,
उन जानवरों के चंगुल मे फंसती होगी
।
ऐसी ही करुण पुकारों से,
वो उन पापियों से विनती करती होगी
॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)