Friday 23 August 2013

ऐसी ही करुण पुकारों से

अंकल मुझे ना सतावो,
प्लीज ! भइया मुझे बचा लो ।
मै पांव पड़ रही हूं दोनो की,
मुझे अपने घर जाने दो ॥

हे भगवान करो मेरी रक्षा,
इन पापियों से हमें बचा लो ।
है कोई जो सुन रहा चीख मेरी,
आकर मेरी लाज बचा लो ॥

जब सुनेंगे मेरे मम्मी-पापा,
तो वे जीते जी मर जायेंगे ।
लुट गई है बहना की ईज्जत,
भाई कहां मुंह को दिखायेंगे ॥

जींदगी नर्क बन जायेगा मेरा,
और मेरे खुशियों मे आग लग जायेगा ।
सपने सब हैं टूट  जायेंगे,
और मेरे दिल मे दर्द सतायेगा ॥

जब कोई अबला या गुड़िया,
उन जानवरों के चंगुल मे फंसती होगी ।
ऐसी ही करुण पुकारों से,
वो उन पापियों से विनती करती होगी ॥

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com

चित्र ; सादर गूगल से साभार लिया गया \

प्याज के आंसू अभी रो रहे हैं सब


मंहगाई की आग मे, जलते हुओं का,
अब तो कुछ, बाकी रहा
चाम-मांस तो, जल गये हैं पहले,
अब तो अस्थि-अस्थि, ही बचा रहा

सरकारों की गलत, नीतियों के चलते,
सब कुछ इनका, तबाह हुआ
घुट-घुट कर, रहते हैं लोग,
अब तो जीना, बहुत बेहाल हुआ

सुरसा जैसी, मंहगाई मे अब,
लोग सुनहरे सपने, भूल रहे
आगे का जीवन, जीयेंगे कैसे,
सब के हाथ-पांव है, फूल रहे

अब बजट बजट बनाते, नही हैं लोग,
क्योंकि बजट मे आग, लग जाता है
किमतें बढ़ रही हैं, अब रोज-रोज,
जिससे उनका सपना, चौपट हो जाता है

क्या खायेंगे,कैसे पढ़ायेंगे?,
और कैसे करेंगे, बेटियों की शादी
प्याज के आसूं, अभी रो रहे हैं सब,
और आगे मंहगाई से, लिखा है बर्बादी
प्याज के आसूं, अभी रो रहे हैं सब,
और आगे मंहगाई से, लिखा है बर्बादी......

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
21-08-2013,wednesday,11:45pm,
pune,maharashtra.