Saturday 24 February 2024

दोहा

राम काज में जो करें, कालनेमि बन रार।
उन सबकी खल कामना,क्षण भर में हो जार।।
दुष्ट सदा हर युग रहें, करें अशुभ व्यवहार।
पर शुभ कारज हो सफल, पड़े दुष्ट को मार।।
धर्म पाप के युद्ध में, सदा यही है रीत।
पाप हारता आप है, मिले धर्म को जीत।।
संतों के सानिध्य में, बढ़ें शांति की ओर।
पर दुष्टों का साथ तो,दुख देता घनघोर।।
धर्म कर्म के काम में, दुष्ट करें विध्वंस।
धर्म सदा है जीतता, मिटे दुष्ट के वंश।।
२०.०१.२०२४

श्री कृष्ण स्तुति " हे मुरली मनोहर श्याम "सुधार हो गया

हे मुरली मनोहर श्याम।


हे मुरली मनोहर श्याम।
प्रभु आओ, प्रभु आओ…

मेरे बिगड़े बनाने काम।। 
प्रभु आओ, प्रभु आओ…. 

मेरी नैया डोल रही है, बीच भँवर में आओ।
एक भरोसा मुझको तुमपर, आकर लाज बचाओ।।
मुझे जग से नहीं है काम…. 
प्रभु आओ, प्रभु आओ…. 
हे मुरली मनोहर श्याम
मेरे बिगड़े बनाने काम… 
प्रभु आओ, प्रभु आओ…

मुझको कोई पंथ ना सूझे, तेरा एक सहारा।
ले चल मुझको दूर यहाँ से, अब नहीं यहाँ गुजारा।।
मैं लूँगा तुम्हारा नाम…. 
प्रभु आओ, प्रभु आओ…
हे मुरली मनोहर श्याम।
प्रभु आओ प्रभु आओ…. 
मेरे बिगड़े बनाने काम… 
प्रभु आओ, प्रभु आओ…


सब अपराध क्षमा करके , अपना लो गोकुल वाले।
तेरी लीला बहुत सुना हूँ, तुम हो बड़े निराले।।
मुझे ले जाने निज धाम… 
प्रभु आओ, प्रभु आओ…
हे मुरली मनोहर श्याम।
प्रभु आओ प्रभु आओ…. 
मेरे बिगड़े बनाने काम… 
प्रभु आओ, प्रभु आओ…


मेरी बुद्धि थोड़ी सी है, हूँ जन्मों का पापी।
पातक के उद्धारक तुम हो, जग में परम प्रतापी।।
मैं दुनिया में बदनाम….. 
प्रभु आओ, प्रभु आओ…
हे मुरली मनोहर श्याम।
प्रभु आओ प्रभु आओ…. 
मेरे बिगड़े बनाने काम… 
प्रभु आओ, प्रभु आओ…

कवि मोहन श्रीवास्तव (सुधार हो गया है)
15/04/91

है ठंड गुलाबी,आखें शराबी

है ठंड गुलाबी,आखें शराबी,
मै हूं,तेरा दिवाना ।
जुल्फें हैं सुहानी, तुम मस्तानी,
पागल सा बना,है जमाना ॥
है ठंड गुलाबी..........

तुम्हें करें प्यार,दिल बेकरार,
बाहों मे मे, आ जावो ।
तुम तो हो जाम, रंगीन शाम,
आखों मे नशा,छा जावो ॥
है ठंड गुलाबी..........

तुम जाड़े की धूप,परियों सा रूप,
पूनम की रात,बन जाती ।
नागिन सी चाल, तुम हो सवाल,
फूलों की तरह,हो मुस्काती ॥
है ठंड गुलाबी..........

तुम्हें पाने की आश, तुम हो तलाश,
तुम जिसे मिलो तो,नसीब खुल जाये ।
तुम सागर की लहर, हो सपनों का शहर,
तुम्हे देखे जो वो, सब भूल जाये ॥
है ठंड गुलाबी..........

अब और ना सतावो,मुझे इतना ना तड़पावो,
मेरे सपनों की रानी आवो ।
दिल की धड़कन बढ़ाती,क्युं तुम नही आती,
मेरी सच्ची कहानी आवो ॥

है ठंड गुलाबी,आखें शराबी,
मै हूं तेरा दिवाना ।
जुल्फें हैं सुहानी, तुम मस्तानी,
पागल सा बना है जमाना ॥
है ठंड गुलाबी..........

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
15-11-1999,monday,11.50am,
chandrapur,maharaashtra.