है ठंड गुलाबी,आखें शराबी,
मै हूं,तेरा दिवाना ।
जुल्फें हैं सुहानी, तुम मस्तानी,
पागल सा बना,है जमाना ॥
है ठंड गुलाबी..........
तुम्हें करें प्यार,दिल बेकरार,
बाहों मे मे, आ जावो ।
तुम तो हो जाम, रंगीन शाम,
आखों मे नशा,छा जावो ॥
है ठंड गुलाबी..........
तुम जाड़े की धूप,परियों सा रूप,
पूनम की रात,बन जाती ।
नागिन सी चाल, तुम हो सवाल,
फूलों की तरह,हो मुस्काती ॥
है ठंड गुलाबी..........
तुम्हें पाने की आश, तुम हो तलाश,
तुम जिसे मिलो तो,नसीब खुल जाये ।
तुम सागर की लहर, हो सपनों का शहर,
तुम्हे देखे जो वो, सब भूल जाये ॥
है ठंड गुलाबी..........
अब और ना सतावो,मुझे इतना ना तड़पावो,
मेरे सपनों की रानी आवो ।
दिल की धड़कन बढ़ाती,क्युं तुम नही आती,
मेरी सच्ची कहानी आवो ॥
है ठंड गुलाबी,आखें शराबी,
मै हूं तेरा दिवाना ।
जुल्फें हैं सुहानी, तुम मस्तानी,
पागल सा बना है जमाना ॥
है ठंड गुलाबी..........
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
15-11-1999,monday,11.50am,
chandrapur,maharaashtra.
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