Monday 13 May 2013

जिंदगी संघर्ष है ,लड़ना ही चाहिये

कभी किसी के दिल को, दुखाना न चाहिये ।
बे-वजह किसी को, सताना न चाहिये ॥

कभी घमंड किसी का,करना न चाहिये ।
मुश्किलों से कभी हमे ,डरना न चाहिये ॥

दुःख मे धैर्यता को,खोना न चाहिये ।
सुख की याद मे ,कभी रोना न चाहिये ॥

पैसों की बात रिश्तों मे ,आना न चाहिये ।
जिसका लिया है कर्ज़ ,भुलाना न चाहिये ॥

धन्धे या व्यापार मे,साझा न चाहिये ।
पति-पत्नी के प्यार मे ,कोई राधा न चाहिये ॥

कभी किसी के उपकार को, भुलाना न चाहिये ।
बिन बुलाये किसी के द्वार पे, जाना न चाहिये ॥

मां -बाप को कभी भी, भुलाना न चाहिये ।
ससुराल मे बार-बार, जाना न चाहिये ॥

बेटी जब सयान हो, घुमाना न चाहिये ।
शराबियों को घर मे ,बुलाना न चाहिये ॥

झूठी शान कर्ज़ से, दिखाना न चाहिये ।
मर्ज़ को बैद्य से, छिपाना न चाहिये ॥

लोगों का देख करके शौक, करना न चाहिये ।
सत्य से कभी भी ,डरना न चाहिये ॥

आत्म हत्या कभी हमे ,करना न चाहिये ।
जिंदगी संघर्ष है, लड़ना ही चाहिये ॥

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
रचनांकन तिथि-१३-०५-२०१३,सोमवार,

प्रातः४.३० बजे, पुणे, महाराष्ट्र

लड़कियां

होती बहुत महान हैं, देखो ये लड़कियां
पर लेती कभी जान हैं, देखो ये लड़कियां

लड़कों को देखो खूब,रिझाती हैं लड़कियां
कितनों के दिल मे आग, लगाती हैं लड़कियां

जलती है लड़कियों से, ये देखो लड़कियां
लड़ती हैं मुश्किलों से ,कितनी ही लड़कियां

कितनी ये ज़ुल्म सहती, बेचारी ये लड़कियां
पर कभी ज़ुल्म करती खूब,देखो ये लड़कियां

मां -बाप की दुलारी, होती हैं लड़कियां
पर कभी उनके दिल पे ,आरी बनती है लड़कियां

कई रूपों मे उपकार ये ,करती हैं लड़कियां
कभी-कभी तो प्यार मे, जलती है लड़कियां

कभी घर को देखो स्वर्ग, बनाती हैं लड़कियां
कभी किसी घर मे नर्क, मचाती हैं लड़कियां

दौलत के लिये जंग, कराती ये लड़कियां
जीवन मे कई रंग, दिखाती है लड़कियां

कभी घर से झूठ बोल,जाती लड़कियां
कभी मनचलों के जाल मे ,फंस जाती लड़कियां

होती बहुत महान हैं, देखो ये लड़कियां
पर लेती कभी जान हैं, देखो ये लड़कियां

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
रचनांकन तिथि-११-०५-२०१३
रात्रि- बजे,शनिवार,
पुणे , महाराष्ट्र



अब आ गया जमाना युवावों का

अब आ गया जमाना युवावों का,
ये किसी से कम हैं नही ।
जोशों से भरे है इनके दिल,
इसमे किसी को भ्रम हो नही ॥

कर रहा तरक्की है भारत,
इसमे इनका बड़ा योग्दान है ।
हर क्षेत्र मे ये हैं आगे,
जो भारत की शान है ॥

हर जगह सफल हो रही बेटियां,
इनसे भारत का भविष्य सुनहरा है ।
बेटियों के पढ़ने से भारत मे,
देश का स्तर सुधरा है ॥

इन सब की योग्यता का लोहा,
दुनिया वाले हैं जान गये ।
भारतीय होते हैं बुद्धिमान,
वे मन ही मन है मान गये ॥

आज पढ़ रहे हैं तो कल,
ये देश की भावी आशा हैं ।
बढ़ रहे आज इनके है कदम,
जो दुनिया के लिये परिभाषा है ॥

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
रचनांकन तिथि-१०-०५-२०१३,
शुक्रवार,रात्रि-११.३० बजे,
पुणे , महाराष्ट्र