होती बहुत महान हैं, देखो ये लड़कियां ।
पर लेती कभी जान हैं, देखो ये लड़कियां ॥
लड़कों को देखो खूब,रिझाती हैं लड़कियां ।
कितनों के दिल मे आग, लगाती हैं लड़कियां ॥
जलती है लड़कियों से, ये देखो लड़कियां ।
लड़ती हैं मुश्किलों से ,कितनी ही लड़कियां ॥
कितनी ये ज़ुल्म सहती, बेचारी ये लड़कियां ।
पर कभी ज़ुल्म करती खूब,देखो ये लड़कियां ॥
मां -बाप की दुलारी, होती हैं लड़कियां ।
पर कभी उनके दिल पे ,आरी बनती है लड़कियां ॥
कई रूपों मे उपकार ये ,करती हैं लड़कियां ।
कभी-कभी तो प्यार मे, जलती है लड़कियां ॥
कभी घर को देखो स्वर्ग, बनाती हैं लड़कियां ।
कभी किसी घर मे नर्क, मचाती हैं लड़कियां ॥
दौलत के लिये जंग, कराती ये लड़कियां ।
जीवन मे कई रंग, दिखाती है लड़कियां ॥
कभी घर से झूठ बोल,जाती लड़कियां ।
कभी मनचलों के जाल मे ,फंस जाती लड़कियां ॥
होती बहुत महान हैं, देखो ये लड़कियां ।
पर लेती कभी जान हैं, देखो ये लड़कियां ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
रचनांकन तिथि-११-०५-२०१३
रात्रि-९ बजे,शनिवार,
पुणे , महाराष्ट्र
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