Friday 7 October 2011

ईमानदारों के बुरे हाल

ये दुनिया हो गई है बेइमानों की,
जहां ईमान नाम की कोई चीज नही !
ईमानदारों के तो बुरे हाल,
उन्हे कही ईज़्ज़त मिलती ही नही !!

ईमानदारी की चाभी लेकर के,
वे बेईमानी का ताला खोलते हैं !
चाभी टूट जाती है मगर,
ताले तो लटकते रहते है !!

गिद्धों कि मंडली मिल कर के,
उसके वारे- न्यारे कर देते !
बेईमानी कि चोचों से मार-मार,
उसे बस अस्थि मात्र ही रहने देते !!

अब चमचों चापलूसों का,
भरपूर साम्राज्य हो रहा है !
हवाला घोटाले बाजों को,
खूब मान-सम्मान मिल रहा है !!

ईमानदारी पर चलना है तो,
भीक्षाटन के लिए तैयार रहो !
पीना है मीठा ज़हर बेईमानी का,
तो बेइमानों के आसन को करो !!

मोहन श्रीवास्तव (कवि)


दिनांक-१९/०४/२००१,बृहस्पतिवार,सुबह-.१५ बजे,

थोप्पुर घाट ,धर्मपुरी ,(तमिलनाडु)

राजनीति हो गया है व्यापार

आज हमारे प्यारे भारत को ,
कलियुग के पापों ने घेरा है !
जहा बेइमानों मक्कारों का,
हर-पल रहता बसेरा है !!

क्रूरता-धुर्त -चालाकी ने,
उनके दिलों मे धाक जमाया है !
इन्ही धूर्त चालाकों ने
प्यारे भारत पर आतंक मचाया है !!

राजनीति हो गया है व्यापार,
जहां पैसे ही कमाना मकसद है !
चाहे पक्ष या हो बिपक्ष,
सबको बस वोटों की चाहत है !!

जो अपराध रक्त से सिंचित हो,
उनसे भला देश का क्या होगा !
ऐसे भीगे कम्बलों मे,
बस पाप ही पाप भरा होगा !!

जो बचे-खुचे हरिश्चंद्र भी हैं,
उनकी हालत दातों मे जीभ सी है !
भ्रष्टाचार के आवरण मे रह कर,
उनकी उपस्थिती एक टंगी हुई तश्वीर सी है !!

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-०४/०४/२००१ ,बुद्धवार, सुबह-.१० बजे
थोप्पुर घट, धर्म पुरी,(तमिल नाडु)