Thursday 22 November 2018

''संसार के आधार हैं वो '' हरिगीतिका छंद ( SSIS SSIS S SIS SSI S )


"संसार के आधार  हैं वो"
 हरिगीतिका छंद ( SSIS SSIS S  SIS SSI S )


संसार के आधार  हैं वो , ज्ञान के भंडार हैं | 
आकाश में पाताल  में , वो शांत पारावार हैं || 
ब्रह्माण्ड में हैं व्याप्त  सारे ,वेद के वो सार हैं  | 
औतार लेके तारते हैं , मोक्ष के ही द्वार हैं || 

सारे  जहाँ में वो समाये , बात ये भी मानिये | 
पाते सुखों को ध्या रहे जो , वो सभी में जानिये || . 
जो जान के अंजान होते , नाम लेते हैं नहीं | 
वो क्लेष पाते हैं सदा ही ,बात ये मानो सही || 

ब्रह्मा विष्णू वो ही त्रिधामा , देवता ये एक हैं | 
जो भी करे हैं ध्यान पूजा , ईश सारे एक हैं || 
लेते उन्हीं का नाम सारे , जान या अंजान में | 
पाते कृपा हैं नाथ के वो , हों किसी भी स्थान में || 

प्यारे दुलारे जीव सारे ,नाथ को जो मानते | 
माता पिता के रूप जैसे ,बालकों को पालते || 
जो छोड़ के सारा जमाना  , आपको ही ध्यानते | 
इच्छा सभी की पूर्ण होती  , आप ही  हैं साधते || 



कवि मोहन श्रीवास्तव 
रचना क्रमांक ;- ( 1126 )
23 . 11 . 2018