आवो नाचे झूमें गाएं,चलो खुशियां मनाएं,
कान्हा मेरे घर आये , ब्रजधाम से।
कर के सोलहों सिंगार, सज के बैठी हूं तैयार,
मैं तो श्याम सजन के, ही नाम से॥१।।
आवो झूमें नाचे-गाएं.......
धेनु संग लिए आत, मुख मुरली बजात,
लोक तिनहुँ रिझात,ब्रज सांवरा।
तन पे पीत परिधान, कुण्डल रवि के समान,
वो तो बसें मेरे प्रान, मन बांवरा।।२।।
आवो झूमें नाचे-गाएं.......
उनके सुंदर सुंदर गाल, घूंघर घूंघर काले बाल,
कंठ मणियों के माल, मन मोहते।
मेरे कबसे प्यासे नैन, करके दर्शन पाते चैन।
प्यारे प्यारे पग में छन छन, पैंजन सोहते।।३।।
आवो झूमें नाचे-गाएं.......
केशर चन्दन तिलक भाल, नैन कमल विशाल,
संग लिए गोप ग्वाल , हरि आ गए।
भौहें जैसे हैं कमान, मारे अंखियों से बान
मांगे प्रेम रस दान, मन भा गए।।४।।
आवो झूमें नाचे-गाएं.......
जैसे जंगल में मोर,वैसे नाचे मन मोर ,
सखि देख चित चोर, झूम झूम के।
मेरे अलबेले श्याम, मुझे तुमसे ही काम ,
मैं तो करूं परनाम घूम घूम के।।५।।
आवो झूमें नाचे-गाएं.......
बना शुभ संयोग, ऐसा कहते हैं लोग,
मैं बनाई छप्पन भोग, बड़े भाव से।
ऊंचे आसन बइठार, विनती कर बार बार,
मैं तो परसूंगी थार बड़े चाव से।।६।।
आवो झूमें नाचे-गाएं.......
जब आएंगे वो पास, संग खेलूँगी मैं रास,
पूरी होगी सब आश, घनश्याम से।
मैं ना मांगू धन धान, मांगू भक्ती वरदान,
जोड़े रखना भगवान, निज धाम से।।७।।
आवो नाचे झूमें गाएं,चलो खुशियां मनाएं,
कान्हा मेरे घर आये , ब्रजधाम से।
कर के सोलहों सिंगार, सज के बैठी हूं तैयार,
मैं तो श्याम सजन के, ही नाम से॥१।।
आवो झूमें नाचे-गाएं.......
सुधार हो गया है दिनाँक १९.०२.२०२४
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
24-12-1999,friday,12.10pm,
chandrapur,maharashtra.