Monday 19 February 2024

हो गये हैं आज धृतराष्ट्र बहुत

हो गये हैं आज धृतराष्ट्र बहुत ,
जहां दुर्योधन अत्याचार कर रहे हैं
हम देख के भी अंजान से हैं,
और अंदर ही अंदर डर रहे हैं

चीर खींच रहे हैं दुःशासन,
द्रोपदी अपनी लाज नही है बचा पाती
मूंक बन गया है श्रेष्ठ समाज,
और रक्षा के लिये वो चिल्लाती

यदि कृष्ण कोई है जाता,
तो उसका हम साथ नही देते
वो भी है बेचारा पछताता,
जब दुर्योधन उसपे वार हैं कर देते

दुर्योधन की मंडली हर जगह पे ही,
अपराध पे अपराध कर रही है
सरकार हो गई है धृतराष्ट्र ,
और प्रजा आग मे जल रही है

इसलिये ऐसे दुर्योधनों को,
हमे चुन-चुन कर सजा देना होगा
जिसे देख के और कोई गलती करे,
और हमे धृतराष्ट्र मोह को तजना होगा

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
२३--२०१३.मंगलवार,प्रातः १० बजे,
पुणे,महा.


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