Monday 19 February 2024

हम सुर्योदय हैं, सुर्यास्त नहीं

हम वीर जवान हैं, भारत के,
हमे पिछे मुड़ना, नही आता है ।
दुश्मनों के लिए, हम खुंख्वार शेर,
उन्हें कदमों मे, झुकाना आता है ॥

मातृभूमि की, रक्षा मे,
हम अपने प्राण, निछावर कर देते ।
जो हमको, आंख दिखाता है तो,
उन्हें हम अपने, कदमों तले मशल देते ॥

अलग-अलग, मजहब के हैं हम,
और बोली भाषा, अनेक है ।
पर देश पे कोई, खतरा आए तो,
उसके लिये हम, सब एक हैं ॥

प्यार से कोई, देखे हमको,
उनके लिये तो, फूल हैं हम ।
पर नफरत से, जो कोई देखेगा हमें,
उनकी आखों मे, धूल हैं हम ॥

दादागिरी करे, कोई हम पर,
यह हमको, बर्दास्त नही ॥
हम गुरू सदा से, रहते आए हैं,
हम सुर्योदय हैं, सुर्यास्त नही है ॥
हम सुर्योदय हैं, सुर्यास्त नही है.....

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
09-02-2000,wednesday,5.35pm,
chandrapur,maharashtra.

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