हम सब फूल हैं रंग-बिरंगे,
खुशबू जहां को देते ।
दुख आये फिर भी हम हंसते,
और सब जगह हम हैं मिलते ॥
गुलाब कमल व चम्पा-चमेली,
कई हैं हमारे नाम ।
अच्छे -बुरे सभी जगहों में,
आते हैं हम काम ॥
कभी हम हैं चढ़ते देवों के लिये,
तो कभी किसी का सम्मान बनते हैं हम ।
कभी शव पे चढ़ाये जाते हैं हम,
तो कभी श्मसान मे मिलते हैं हम ॥
हम कांटों मे भी रहकर के,
इस जहां को फूल बन मिलते हैं ।
कितना भी दुख आये हम पर,
पर हम सदा-सदा ही खिलते हैं ॥
दुनिये मे यदि तुम जनम लिये,
तो फूल बनकर के दिखलावो ।
कांटे कितने भी चुभायें तुम्हें,
पर तुम अपनी खुशबू बिखरावो ॥
हम सब फूल हैं रंग-बिरंगे,
खुशबू जहां को देते ।
दुख आये फिर भी हम हंसते,
और सब जगह हम हैं मिलते ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
10-06-2013,monaday,
7 p.m,pune,maharashtra
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