Monday 19 February 2024

अभी दयालुता सिर्फ देखे हैं वे

दुश्मन हमे, चुनौती दे रहा है,
तो संग्राम हमें, करना ही होगा
रोज-रोज के, किच-किच से,
उनका काम तमाम, करना ही होगा

हम गीदड़ नहीं, शेरे दिल हैं,
उन्हें मजा, चखाना ही होगा
हम बुझदिल या, कायर हैं नहीं,
उनका नामोंनिशान, मिटाना ही होगा

हमारी सहनशीलता, का मतलब,
हम डर हैं गये, वे मान रहे
इसीलिये, आये दिन वे,
हमारे जवानों को, मार रहे

पर वक्त , गया है ऐसा,
कि दुश्मन को, धूल चटाना ही होगा
हमारे जवानों के, प्राण का बदला,
उनसे गिन-गिन कर, चुकाना ही होगा

अभी दयालुता, सिर्फ देखे हैं वे,
पर कोप हमारा, नही देखे
तलवारों की चमक, देखे हैं वे,
पर तलवारों की, धार नही देखे

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
08-08-2013,thursday,7:30pm,(714),

pune,maharashtra.

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