शेर का चोला, पहनने से,
गीदड़ शेर नही बन सकता ।
ऐसे ही भेष बदलने से,
ईंषान भगवान नही, बन सकता ॥
लगभग सभी धर्म मे आज,
ढोंगी-पाखण्डी हो रहे हैं ।
लोगों की भावनावों का लाभ उठा,
वे बहुत आराम से ठग रहे हैं ॥
बहुरुपिये बनकरके वे,
सिद्धी दाता बतलाते हैं ।
मासूम-सरल-अबलावों को,
वे अपना निशाना बनाते हैं ॥
भगवान के नाम पर, ठगी करके,
वे अपनी तिजोरी भर रहे हैं ।
मेहनतकश को रोटी नसीब नही,
और वे खाते-खाते मर रहे हैं ॥
कालनेमि,रावण,राहु का,
ऐसा ही कभी हाल हुआ ।
कभी सच तो सामने आता ही है,
और हर पापी का बुरा हाल हुआ ॥
कभी सच तो सामने आता ही है,
और हर पापी का बुरा हाल हुआ......
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
15-08-2013,2:30pm,thursday,
pune,m.h,(724).
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