Monday 19 February 2024

भोज पुरी (मत देखो तिरिछी नजरिया से)

मत देखो तिरिछी नजरिया से,नजरिया से..
हम मर-मर जाए, सुरतिया पे, सुरतिया पे....
मत देखो तिरिछी, नजरियासे.......२

कहां से आई गोरी,कहां पे जावोगी....२
हम पे सितम कब तक, तुम ढहावोगी.....२
जब से देखे हम, दिवाने हुए हैं....२
तुमको हम देख के, परवाने हुए हैं.....२
चमके...२ तूं जैसे बिजुरिया सी, बिजुरिया सी....२
हम मर-मर जाएं, सुरतिया पे....२
मत देखो तिरिछी, नजरियासे.......२

पतली कमर, बलखा के चली है.....२
लगती बनारस की, संकरी गली है....२
कानों मे झुमका, बरेली का पहनें....२
सर से पावों तक, हीरे के गहने....२
रात...२ को दिखती अजोरिया सी,..अजोरिया सी
हम मर-मर जाएं, सुरतिया पे....२
मत देखो तिरिछी, नजरियासे.......२


कली कश्मीर की,फूल मे गुलाब हो...२
शीशे की बोतल मे, महंगी शराब हो....२
हम हैं शायर और, तुम तो गजल हो....२
समय की गिनती मे, तुम तो इक पल हो....२
मदिरा...२ छलकाती बदनियां से,बदनिया से
हम मर-मर जाएं, सुरतिया पे....२

मत देखो तिरिछी, नजरिया से,नजरिया से..
हम मर-मर जाए, सुरतिया पे, सुरतिया पे....
मत देखो तिरिछी, नजरियासे.......२

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
24-12-1999,friday,12.50pm,
chandrapur,maharashtra.

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