Monday 19 February 2024

भजन हे नाथ दया के हो सागर (प्रभु हमपे कृपा तो करो इतना) सुधार हो गया है

हे नाथ दया के हो सागर,
हम सब अति दीन भिखारी हैं ।
प्रभु स्वामी तुम हम सब सेवक,
हम अनपढ़ और गॅंवारी हैं।।

प्रभु पीताम्बर धारी तुम हो,
मस्तक चन्दन शोभा देता।
पहने शुभ माल गले में हो,
तव दृग सारा दुख हर लेता॥
प्रभु के मुख मंडल में फैली,
बिजुरी जैसी उजियारी है।
प्रभु स्वामी तुम हम सब सेवक,
हम अनपढ़ और गॅंवारी हैं।।१।।

प्रभु रूप मनोहर छवि न्यारा,
मुस्कान तुम्हारी निराली है।
कोमल कपोल हैं अति सुन्दर,
अधरन पे चमके लाली है।।
लट मुखड़े पे उलझे लटके,
जिनको लखि जग बलिहारी है।
प्रभु स्वामी तुम हम सब सेवक,
हम अनपढ़ और गॅंवारी हैं।।२।।

सब आश भरोस हैं छोड़ चुके,
दिखता नहीं नाथ सहारा है।
बस आश हमारे नटवर पर,
प्रभु हमनें तुम्हें पुकारा है।।
अब लाज बचा लो मनमोहन,
हम आए शरण तिहारी हैं।
प्रभु स्वामी तुम हम सब सेवक,
हम अनपढ़ और गॅंवारी हैं।।३।।


हे नाथ दया के हो सागर,
हम सब अति दीन भिखारी हैं ।
प्रभु स्वामी तुम हम सब सेवक,
हम अनपढ़ और गॅंवारी हैं।।

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
15-01-2000,saturday,6.50am,
chandrapur,maharashtra.
सुधार दिनांक ०१.०३.२०२४


प्रभु हमपे कृपा करना इतना,
मेरा जीवन, सफल तो हो जाए ।



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