शरीर के अंग सभी, होते हैं काम के,
पर दांत तो, सबसे निराला है ।
बत्तीस दातों के, साथ हमें,
मिलता जो हमें, निवाला है ॥
दातों से हमें, मिलता है भोजन,
जिसे कूच-कूच कर, खाते हैं ।
हर तरह की, चीजों को खाकर,
हम अपनी भूख, मिटाते हैं ॥
कई प्राणियों के, ये जीवन रक्षक,
जिनसे आहार सभी पाते ।
दांत हमारे, महत्व पूर्ण अंग हैं,
जिनका बखान न, हम कर पाते ॥
दांत मिला है, हम सब को तो,
शाकाहारी चीजों को ही खायें ।
जिससे ये और, अपवित्र न हो,
इन्हें संभालकर रखे जायें ॥
हमारे लिये ये, इतना करते,
तो हम सब के, लिये भी जरुरी है ।
नित्य-प्रति इनका साफ-सफाई,
हम सब के लिये, बेहद जरुरी है ॥
हम सब में से, जिनके नहीं हैं दांत,
वो तो बहुत अभागा है ।
इसके बिना तो, उसका जीवन,
लगता है बस आधा है ॥
इसके बिना तो, उसका जीवन,
लगता है बस आधा है............
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
22-07-2013,monday,11:15pm,
pune,maharashtra.
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