हम आंधी नहीं तूफान हैं,
कभी नहीं, रुक सकते हैं ।
हम कमजोर नहीं, बलवान हैं,
कभी नहीं, झुक सकते हैं ॥
हमें जितना भी, जो कोई रोकेगा,
हम और भी, आगे बढ़ते जायेंगे ।
हमारे पीठ में, जो कोई खंजर घोपेगा,
हम उसे मौत की, नींद सुलायेंगे ॥
हम कायर नहीं, शेरे दिल हैं,
डरना हमको, आता है नहीं ।
हम वतन पे, शहीद हो जाते हैं,
मरना हमको, आता है नहीं ॥
दिल में आग, जल उठता है,
जो हमें बुरी नजर, से देखते हैं ।
आखों से अंगारे, निकल उठते,
जो हम पे शक, की नजर फेरते हैं ॥
इतिहास गवाह, रहा है सदा,
हम मित्रता पे, जान लुटा देते ।
पर दुश्मनी, कोई करे हमसे,
तो हम उसकी, आखें निकाल लेते ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
14-03-2000,,tuesday,7:10pm,
chandrapur,maharashtra.
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