जिससे लोगों को लाभ, पहुंचाए जाते ।
इन्हीं योजनावों मे, एक मिड डे मील,
जहां स्कूली बच्चों को, आहार खिलाए जाते ॥
आमतौर पर, सरकारी योजनावों मे,
भ्रष्टाचार का साया, तो रहता ही है ।
बहुतों की कमाई, होती है इनसे,
पर बहुतों को, लाभ मिलता भी है ॥
मध्याह्न भोजन, का भी यही हाल,
जहां आहार की, गुणवत्ता ठीक नही ।
अफसर शाही की, मिली भगत से,
घटिया चीजें जो, मिल है रही ॥
मिड डे मील मैनेजर, नही होने से,
इससे शिक्षकों पे, दबाव है बढ़ जाता ।
वे एक शिक्षक की, भुमिका मे दिखते हैं कम,
पर उन पर मेस मैनेजर का, रंग है चढ़ जाता ॥
यदि सही, व्यवस्था नही हुई,
तो ऐसे ही हमारे, बच्चे मरते रहेंगे ।
गुनाहगारों के, अपराधों की सजा,
हम हर दिन, ऐसे ही सहते रहेंगे ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
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17-07-2013,wednesday,10
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