Thursday 17 November 2011

मच्छर या नेता


ए कैसे खतरनाक मच्छर
काटते बेदर्दी से
सब हुए इनसे परेशान
ये घटाते सबकी शान
ये आते-इतराते-गाते
पंख बजाते
खून चूसते खूब मजे से
सभी तैय्यार इस बार
अबकी यदि करेगा वार
मै पकड़ुंगा-मारूंगा
कसर निकालुंगा
आए बजाते शहनाई
अब किसकी शामत आई
मै भी डरा-डरा
सहमा हुआ जरा
वे आते-काटते चले जाते
जैसे किसी दावत मे आते
इनके कारण सोना है हराम
हाय मै क्या करू राम
कोई मेरी जान बचावो
इनको यहा से भगावो
देखो मेरे पिछे पड़े है
दिन-रात मेरे सर पे खड़े है
मै बहुत उपकार मानूंगा तुम्हारा
इनसे पिछा छुड़ा दो हमारा

मोहन श्रीवास्तव
दिनांक-०९/०४/१९९१,दोपहर ,२.५० बजे
एन.टी.पी.सी दादरी, गाजियाबाद(उ.प्र.)

बच्चे


बच्चों के खेल हैं कैसे ।
जैसे नन्ही रेल हो जैसे ॥

इनमे आपस मे कितना प्यार ।
ए राम-कॄष्ण अवतार ॥

ये आपस मे है भाई ।
नही इनकी किसी से बुराई ॥

इनमे राग-द्वेष नही होता।
इनमे कोई बड़ा न छोटा ॥

ईश्वर ने इनकी प्रीति बनाई।
जैसे मधुर वाद शहनाई॥

ये कैसे भोले-भाले ।
इनके दिल होते नही काले ॥

इनकी ओतली-तोतली भाषा ।
इनसे है बहुत सी आशा ॥

तुम आपस मे हो क्यों लड़ते ।
लड़-लड़ कर क्यों हो मरते ॥

इनसे शीक्षा तुम ले लो ।
तुम इनके साथ हो खेलो ॥

तुम क्यों बनते शैतान ।
इनसे ले लो अब ग्यान ॥

मत बेचो दीन-ईमान ।
बन जाओ नेक ईंषान ॥

इन नन्हे-मुन्नो की दुनिया ।
ढेरों लाती हैं खुशियां ॥

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-१५//१९९१
एन.टी.पी.सी. दादरी, गाजियाबाद (.प्र.)



आराधना(हे मुरली मनोहर श्याम)



हे मुरली मनोहर श्याम,हे धनुर्धारी राम,
प्रभु आजा..प्रभु आजा...प्रभु आजा.....
हे मुरली मनोहर श्याम...

मेरी नइया है भवर मे,
प्रभू तू कॄपा अब कर दे!
अब तेरा ही है सहारा,
प्रभु आके मुझे ऊबार!!
हे मुरली मनोहर श्याम..

अब मुझे कोई राह न सूझे
तेरे सिवा न कोई दूजा
ले चल मुझे उस पार
हे कॄष्ण -मदन गोपाल
हे मुरली मनोहर श्याम

मेरे निकल रहे है श्वाश
प्रभु अब तेरा ही आश
आ जावो मुझे बचा लो
हे गिरिधर,हे गोपाल,
हे मुरली मनोहर श्याम

मैने भूल बहुत ही किया
प्रभु तेरा नाम न लिया
मेरे क्षमा करो अपराध
हे मधुसूदन महराज
हे मुरली मनोहर श्याम

हे श्याम अब तो तुम आवो
प्रभु मेरी लाज बचावो
मुझे तार दो पद से आज
हे निज भक्तों के दास
हे मुरली मनोहर श्याम

मेरी बुद्धि थोड़ी सी है
उसमे भी काई घुसी है
मै गीत सुना नही सकता
मै विनती कर नही सकता
मै हू मूरख अग्यान
हे धीर बीर बलवान
हे मुरली मनोहर श्याम
हे धनुर्धारी राम
प्रभु आजा..प्रभु आजा..प्रभु आजा
हे मुरली मनोहर श्याम....

मोहन श्रीवास्तव
दिनांक-१५/४/१९९१,
एन.टी. पी सी. दादरी गाजियाबाद (उ.प्र.)

तेरे पास मै आना चाहता हूं

तेरे पास मै आना चाहता हूं
आऊं मै कैसे बतावो मेरी जा..

तेरे हुश्न की अनेको है बोलें
तुम कैसे भी आवो अपना बना ले,
मेरी सनम करो अब रहम
मै तुझको पाना चाहता हूं
तेरे पास मै आना चाहता हूं

ये पक्की दीवार है बीच मे
मै इस पार,तुम उस पार
कैसे भी आवो वो मेरी वफ़ा
तेरे पास मै आना चाहता हूं

तुम हो कितनी भोली ये खुद को पता
तुम्हारी कोमल काम -कला
मेरी जीवन की मस्ती तुम्ही हो
सुबो-शाम मै देखना चाहता हूं
तेरे पास मै आना चाहता हूं

तुम्ही मेरे दिल की वो नन्ही परी हो
किताबों पे तुम्ही रोशनी हो
मै दिन-रात, मै दिन रात
तुझे तरासना चाहता हूं
सजा सह रहा हूं मजा चाहता हूं
तेरे पास मै आना चाहता हू

तुम मेरे बागों की कच्ची कली हो
मेरी निगाहों से सुन्दर भली हो
तुम्हारी कंठों की आवाज को हम
सदा ही सदा सुनना चाहता हूं
अर्ज कर रहा हूं
कर्ज चाहता हूं
आऊं मै कैसे ,बतावो मेरी जा
तेरे पास मै आना चाहता हूं......

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-१३//१९९१

,एन.टी.पी.सी. दादरी, गाजियाबाद(.प्र.)