Tuesday 2 April 2024

हाय रे घोटालेबाज

"हाय रे घोटालेबाज"
हाय रे घोटालेबाज, दारू वारू के दलाल,
आखिर में पहुंच गया तू तो तिहाड़ में।
बड़ी बड़ी कर बात, देश से तू किया घात ,
भ्रष्टाचारी देशद्रोही अब जा तू भाड़ में।
मिटायेंगे भ्रष्टाचार, बोल बोल के गद्दार,
पर तूं भी जाके मिला, चोरों की कबाड़ में।
गड़बड़ झालावाला वाला , बन गया दारू वाला,
देश द्रोह करता था, नेता गिरी आड़ में।।

फट गया तेरा ढोल, खुल गई सारी पोल,
बच्चा बच्चा जान गया तेरे इस खेल को।
तेरे साथ मिले और, कई बड़े बड़े चोर,
तेरे आगे पीछे सब जा रहे हैं जेल को।।
तूं तो ना किसी का सगा, सब को है तूने ठगा ,
मुफतखोरी की दौड़ा रहा था तू रेल को।
सब लोग जान गए, तुझे पहचान गए,
तिल तिल तरसेगा अब तू तो बेल को ।।
मोहन श्रीवास्तव
02.04.2024, मंगलवार
महुदा झीट पाटन दुर्ग



Monday 1 April 2024

काला बाल


बुड्ढा पन करो बाय, जब है हेयर डाई,
फटाफट बूढ़ों को जवान ये बनाता है।
सत्तर को साठ कर, साठ को पचास कर,
उम्र दस बीस साल सब का छिपाता है।।
बाल को काला करके , मारके बुढ़ापा गोली
आईने के सामने खड़े हो इतराता है।
होते जब काले बाल, दिल होता खुशहाल,
चेहरे का भाव व प्रभाव बढ़ जाता है।।

जब पके मेरे बाल, देवी जी का सूजा गाल,
बोली जाके आज बाल काले करवाइए।।
करूंगी न बात चीत , भूल जाना सब प्रीत,
और कोई काम धाम मुझे ना बताइए ।
मेरे साथ घूमने को जाना है जो आपको तो
जाइए जी जाइए बहाने न बनाइए।
बोली मैं तो जानती हूं आप की सच्चाई सब,
बूढ़े हो रहे हो ये न जग को जनाइए।।

देवी जी की बात मांन, गया नाई की दुकान,
बोला  मुझे कर दो जवान लीप पोत कर l।
मुस्काते हुए मुझे नाई बोला बैठ जाओ,
कुर्सी पे बैठा मैं भी दांत को निपोरकर।।
दांत जो निपोरा मैंने वो भी मेरा नकली था,
आ गया बाहर साला मुंह से निकलकर।
नाई हैरान हुआ मैं भी परेशान हुआ,
बात सुलटाया मैने कैसे भी संभलकर।।

कवि मोहन श्रीवास्तव
महुदा झीट पाटन
01.04.2024