Wednesday 6 September 2023

"कलाधर छंद"(श्रीकृष्ण जन्म)अर्ध रात्रि भाद्र मास

"कलाधर छंद"
(श्रीकृष्ण जन्म)
अर्ध रात्रि भाद्र मास कंत देवकी उदास,
नींद नैन में न आय सोच के बिताय है।
देवकी हुई अधीर होत है प्रसूति पीर,
नील कंज ज्योति पुंज सामने लखाय है।।
ज्योति पुंज होय बाल देवकी के गोद लाल,
ईश ने प्रभाव आप रात मे दिखाय है।
नींद आय द्वारपाल बेड़ियां खुली कराल,
रोय बाल जान पास सेन पुत्र आय है।।

देहु देहु मोहि लाल नाहिं मोर पास काल,
हो प्रिया नहीं उदास नंद धाम जान है।
हाथ जोरि बोलि नाथ मोहि ना करो अनाथ,
साँवरा सलोन लाल नाथ मोर प्राण है।।
पुत्र ले चले सुजान सूर्य पुत्रि मे उफान,
चाहती पखार पाँव ब्रम्ह जो महान है।
देखि श्याम प्रीत भाव सूप से निकाल पाँव,
भानुजा पखार पाँव शेष छत्र तान है।।
कवि मोहन श्रीवास्तव