Sunday 20 November 2011

राजीव गांधी स्मॄति



आज कैसा ये सदमा मेरे दिल को लगा
कि राजीव गांधी जी मारे गए!
चाहे कोई उनका दुश्मन क्यु न हो
वो भारत देश के सितारे गये!!
आज चुनावी शभा थी मद्रास मे
ऐसा बम वो फ़टा उनके पास मे!!
उनके टुकड़े उड़े कैसे आकाश मे
रात १० बजकर १० मिनट का वक्त था!!
मई महिने की इक्कीस आज तारीख थी
दिन था मंगलवार की काली रात थी!
अपनी मा की प्रतिमा पे वो हार चढ़ा
वो जनता को सम्बोधित करने जा रहे
फ़िर सहसा अचानक एक आवाज ने
श्री गांधी का दुखद अंत कर दिया!!
वो ईंषान नही फ़रीस्ता थे वो
जिसने सबको बराबर का हक दे दिया
ऐसे सज्जन फ़रिश्ते को कुछ गद्दारो ने
आज कैसे हम सबसे अलग कर दिया

मोहन श्रीवास्तव
दिनांक-२१/५/१९९१,रात १२ बजे
एन.टी.पी.सी.दादरी,गाजियाबाद(उ.प्र.)

आराधना(श्री हनुमान जी का)


हे राम भक्त हनुमान प्रभु,
विनती सुन लो आके मेरी!
हे प्रभु मुझ दुखियारी को,
दर्शन दे दो ना करो देरी!!
दिनो के स्वामी हो भगवन,
तुम जग के पालन कर्ता हो!
तुम ही विष्णू, शव जी हो,
तुम ही संहार कर्ता हो!!
हे पवनपुत्र अंजनि नन्दन
तुम नित राम-राम रटते रहते!
तुम प्रभु अपने भक्तो पर,
कॄपा की वर्षा करते रहते!!
पावो मे खड़ाउं है तेरे,
बाएं हाथ मे उचा पर्वत है!
दाए हाथ मे गदा शोभायमान
राम चन्द्र तेरे दिल मे है!!
लाल लंगोटी पहने हो तुम
लाल-लाल तेरी काया है!
हमसे ना तुम रुठो भगवन
हमको तेरी ही छाया है!!
मै आज फ़सा इस संकट मे
संकट से आके उबारो तुम!
हे कालो के भी महाकाल
अपनी दया से बचा लो तुम!!
हे राम भक्त हनुमान...

मोहन श्रीवास्तव
दिनांक-२२/५/१९९१,बुद्धवार,रात्रि १० बजे
एन.टी.पी.सी दादरी ,गाजिया बाद(उ.प्र.)

तुम्हारे बिन नही जमती है आज ये महफ़िल

तुम्हारे बिन नही जमती है आज ये महफ़िल !
सुहाना वक्त है मौशम,तुम इसमे हो जावो शामिल !!
तुम्हारे बिन...

मैने पिया है आज बहुत जमकर के शराब !
पर मुझको नही मिलती है वो मशहुर शवाब !!
तुम्हारे बिन...

ये चांदनी रात है,तारे कर रहे झिलमिल !
तुम्हारी बाहों को चाहता है मेरा दिल !!
तुम्हारे..

अपनी- अपनी ख्यालो मे सभी मशगूल हो रहे !
वो मेरी जाने मन हम अपनी सवाल किससे करें !!
तुम्हारे बिन...

आज हमसे धोखा किया है क्युं तुमने !
तेरे एहसान का बदला मै कैसे चुकाउंगा !!
तुम्हारे बिन नही जमती...

रंग -महफ़िल नही ये तो कब्रीस्तान है !
मेरी हालत आज जैसे कोई शैतान है !!
तुम्हारे बिन नही जमती..

शोले उगलते है आज इन सबकी बातें !
दिये जलते है कैसे आज रह-रह कर !!
तुम्हारे बिन नही जमती....

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-२१//१९९१,मंगलवार,शाम,.५० बजे,

एन.टी.पी.सी.,दादरी,गाजियाबाद(.प्र





गजल(तुम ही मेरी मुकद्दर की तकदीर हो)


तुम ही मेरी मुकद्दर की तकदीर हो
मै तुम्हारे सहारे ही जीता रहा
आज ऐसे अचानक तुम क्यु रूटी हो
मै तुम्हारे गमो को भी पिता रहा
तुम ही मेरी मुकद्दर..
आज तेरी बेवफ़ा से हैरान हू
कोई नही है मुझे रास्ता
फ़िर भी मै हु तुम्हारे पिछे पड़ा
दे रहा हु तुझे प्यार का वास्ता
तुम ही मेरी मुकद्दर की ...
चली जावोगी तुम जब इस स्थान से
य्शा कोई न होगा सहारा मेरा
मै भी जाउंगा उसी कब्रिस्तान मे,
वहा कोई तो होगा किनारा मेरा!!
तुम ही मेरी मुकद्दर...
मै तेरी इक ही अदा पे हुआ था घायल
आज तुमने मुझसे कैसा धोखा किया!
मै तुम्हारी वफ़ा का क्या दाद दू
हमसे तुमने ये कैसा बदला लिया!!
तुम ही मेरी...
तुम्हे ऐसा ही करना था यदि इस तरह
तुम फ़साई क्यु अपनी जाल मे!
मै तुम्हारा शुकिरिया कैसे करू
मै फ़सा हू तुम्हारे ही जाल मे!!
तुम ही मेरी मुकद्दर...
तुमने हमसे किया था बहुत सी वादे
उन वादो का कोई जवाब नही!
मै तुम्हारी ही वादो पे लुट गया
खाली बोतल जिसमे शराब नही!!
तुम ही मेरी मुकद्दर की...

मोहन श्रीवास्तव
दिनांक-२०/५/१९९१, सोमवार,दोपहर-११.३० बजे,
एन.टी.पी.सी.दादरी,गाजियाबाद(उ.प्र.)

भजन(मै पनघट पर नही जाउंगी)

मै पनघट पर नही जाउंगी
मुझसे श्याम करे रे ठिठोली....
वो मुझको रस्ते मे घेरे है
और बोले तरह-तरह की बोली..
मै पनघट....

मेरा वो मटकी फ़ोड़े रे,
हमसे करे बरजोरी
जब मै उससे पिछा छुड़ाऊं
करे वो बातें कोरी-कोरी
मै पनघट पर नही जाउंगी...

उसके साथ मे ग्वाल-बाल
और हाथ मे छोटी सी बसुरिया
वे सब हमको कैसे छेड़े
जैसे कोई नन्ही सी गुड़िया
मै पनघट ...

सिर पे उसके मोरपंख है
माथ पे तिलक की रेखा
कमर मे उसके लंगोटी बिराजे
हे सखी मैने ऐसा देखा
मै पनघट ...

वो मुझको राधा-राधा पुकारे
मै कहु श्याम सलोना
वो मुझे अपनी बाहों मे लेकर
कहे राधा तुम चलो ना
मै पनघट ...

वो बासुरी कि तान सुनाकर
कहे राधा तुम नाचो
मै जब उसको मना हूं करती
सखी यह झूठ नहि साचो
मै पनघट पर ...

वो सब जगह पे मुझे मिल जाता
जहां   -जहां मै जाती
मोहन से जब मै दूर भागती
हंसी उसे तब आती
मै पनघट पर नही जाउंगी...

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-२०//१९९१,
सोमवार,रात्रि-१०.१० बजे,
एन.टी.पी.सी.दादरी,गाजियाबाद(.प्र.)