Sunday 22 January 2023

मेरी गृह लक्ष्मी कवयित्री शोभामोहन श्रीवास्तव

मेरी गृह लक्ष्मी कवयित्री शोभामोहन श्रीवास्तव जी के साथ 

पुरानी यादें छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में कवि सम्मेलन झीट गांव पाटन दुर्ग में मेरी श्रीमती शोभामोहन जी और कवि संजीव ठाकुर जी के साथ

"पुरानी यादें"
छत्तीसगढ़ के यशस्वी मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी के साथ एक कवि सम्मेलन में कवि आदरणीय संजीव ठाकुर जी, धर्मपत्नी कवयित्री शोभामोहन जी के साथ मैं और तत्कालीन सरपंच आदरणीय धर्मेंद्र कौशिक जी ग्राम झीट पाटन दुर्ग।

अवध में राम जी आए (विजात छंद)

"श्री राम भजन"
(विजात छंद) 
जय जय श्री राम 
अवध में राम जी आये, महा आनंद छाया है।
जली शुभज्योति नगरी भर, महल भी जगमगाया है।।

मधुर शहनाई की गुँजन,नगरवासी सुयश गाये।
अवध नगरी सजी सुंदर, ध्वजा तोरण हैं  लहराये।।
नए परिधान आभूषण, सभी ने दिव्य पाया है।
अवध में राम जी आये, महा आनंद छाया है।
जली शुभज्योति  नगरी भर, महल भी जगमगाया है।।१।।

खुशी में मग्न सब मइया, लिपट कर रो रही भारी।
बहा आंसू खुशी की सब, मिले रघुवर से नर नारी।।
खुशी से हो भरत पागल, चरण में सिर नवाया है।
अवध में राम जी आये, महा आनंद छाया है।
जली शुभ ज्योति नगरी भर, महल भी जगमगाया है।।२।।

सिया को गोद में लेकर, सभी मैया दुलारे हैं। 
लखन सिय राम तीनों को, अवधवासी निहारे हैं।।
उतारे आरती सारे, हिया में सुख समाया है।
अवध में राम जी आये, महा आनंद छाया है।
जली शुभ ज्योति नगरी भर, नगर भी जगमगाया है।।३।।

 कवि मोहन श्रीवास्तव

कृष्ण विरह (दोहे)

"कृष्ण विरह" (दोहे )
जय श्री राधे कृष्ण

जब से ब्रज को छोड़ के, आया मथुरा धाम।
राधा तेरी याद में, तरसूं आठों याम।।
जब देखूं जोड़े कहीं,हस मिलके बतियाय।
तब तब मेरे नैन में,आंसू भरि भरि जाय।।
प्रिया विरह में रात दिन,भूख लगे ना प्यास।
नैना आंसू पी रहे,मन है बहुत उदास।।
जैसे तैसे दिन कटे मगर,कटे नहि रात।
कण्ठ रूआंसा मन भरा,मुख निकसे नहि बात।।
ऋतु बसंत देता मुझे, बैरी बन संताप।
फगुनाई बहती हवा, भरती उर में ताप।।
चंद्र उजाले में तुझे,ढूंढे नैन चकोर।
विरह वेदना विकल हो,पिया बावरा तोर।।
बिना तुम्हारे राधिका,जीवन बज्र समान।
हर पल तेरी याद में,बुझा बुझा तन प्राण।।
 मोहन श्रीवास्तव

छत्तीसगढ़ हिंदी साहित्य मण्डल कवि सम्मेलन

विगत शनिवार "छत्तीसगढ़ हिंदी साहित्य मंडल" की आनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता परमादरणीय गुरुदेव आचार्य अमर नाथ त्यागी जी ने की और शानदार मंच संचालन आदरणीय बड़े भाई प्रख्यात व्यंगकार श्री सुनील पांडेय जी की।। जिसमें सभी कवि व कवयित्रियों ने देशभक्ति और राष्ट्रवाद को मजबूत करने के लिए ओज भरी कविताएं पढ़ीं। जिसमें शोभामोहन और मुझे भी काव्य पाठ करने का अवसर मिला। नई दुनिया और अन्य पत्रिकाओं ने हैं दोनो की राष्ट्रवादी पंक्तियों को प्रमुखता से प्रकाशित किया उसके लिए आभार।

कवयित्री शोभामोहन श्रीवास्तव ने राष्ट्रवाद को मजबूत करती पंक्तियां पढ़ी।
जागो रे मेरे प्यारे, मां भारती के लाल
आराध्य तुम्हारे शंभु विष्णु
जग में तुम हो सबसे सहिष्णु।
अब फुफकारो बन शेषनाग
वक्षस्थल में धधकाओ आग।

कवि मोहन श्रीवास्तव ने भारत की महानता का गान किया।
राम कृष्ण बुद्ध जहां है जन्मे और हुए अवतार।
भारत माता की गोदी में, जनम मिले हर बार।।
सिंधु करे है पहरेदारी, बना हिमालय ढाल।
काश्मीर है मुकुट सरीखा, रहते सब खुशहाल।।

शनि स्तुति (विजात छंद)

"विजात छंद"
(शनि स्तुति)
जय जय शनि देव

लिए धनुबाण हाथों में, प्रभो शनिदेव जी प्यारे।
सुसज्जित दिव्य शस्त्रों से, बदन पर नीलपट डारे।।

दमकता कांतिमय मुखड़ा, कलेवर नील रंगी है। 
कहाते न्याय के अधिपति, भगत के परम संगी हैं।।
पिता रवि मातु छाया हैं, भगत के कष्ट सब टारें।
लिए धनुबाण हाथों में, प्रभो शनिदेव जी प्यारे।।१।।

सहचरी आठ पत्नी हैं, तुरंगी धामिनी ध्वजिनी।
अजा कंटकी कंकाली, कलहप्रिय देवि है महिषी।।
सवारी गिद्ध है उनकी, सभी के ताप प्रभु जारे।
लिए धनुबाण हाथों में, प्रभो शनिदेव जी प्यारे।।२।।

अराधक कृष्ण के सच्चे, ग्रहों के मुख्य हैं स्वामी।
अचानक रुष्ट होवें तो, बिगाड़े काम जगनामी।।
संँवारे काज भक्तों के, सदा शनिदेव रखवारे।
लिए धनुबाण हाथों में, प्रभो शनिदेव जी प्यारे।।३।।

कवि मोहन श्रीवास्तव

फोटो

आज जगत में गूंज रहा है

सरसी छंद 
"आज जगत में गूंज रहा है"

आज जगत में गूंज रहा है, जय जय जय श्रीराम।
भव्य भुवन निर्माण हो रहा,अवध पुरी सुखधाम।।

पांच सदी मे सनातनी के,जागे सोये भाग।
आज बुझी है धधक रही थी,सदियों से जो आग।।

मुगल लुटेरे राम भवन का,किये विकट विध्वंस।
लाखों हिन्दू मार काटकर, मिटा दिये थे वंश।।

मंदिर ऊपर मस्जिद गढ़कर, किये लुटेरे काम।
कार सेवकों ने कर डाला, उसका काम तमाम।।

रामभक्त बलिदान हुए जो,नमन करें हम आज।
सत्य सनातन की रक्षा में,सारा राम समाज।।

तंबू मे श्रीराम विराजित, देख दुखित सब लोग।
न्यायालय ने दिया फैसला, तभी बना संयोग।।

ऐसे शासक जन का हम पर,बहुत बड़ा उपकार।
जिनकी मेहनत और लगन से,हमें मिला उपहार।।

भगवा अपना विजय पताका, कलशा घर के द्वार।
दीपों से मन रही दिवाली, घर घर वंदनवार।।

कोटि कोटि सब रामभक्त को,मोहन करे प्रणाम्।
राम नाम के दिये जलाओ,अपने अपने धाम।।

आज जगत में गूंज रहा है, जय जय जय श्रीराम।
भव्य भुवन निर्माण हो रहा,अवध पुरी सुखधाम।।

मोहन श्रीवास्तव

छत्तीसगढ़ हिंदी साहित्य मण्डल में मेरी श्रीमती शोभामोहन श्रीवास्तव जी काव्य पाठ करती हुई

साहित्य सृजन संस्थान का आभार

वक्ता मंच का आभार

साहित्य सृजन संस्थान का बहुत बहुत आभार

वक्ता मंच और साहित्य सृजन संस्थान