Saturday 10 June 2023

"क्या कहूं आपका हुश्न गजब ढा रहा"

"क्या कहूं आपका हुश्न गजब ढा रहा"

आपके खूबसूरत वदन के लिये,
हमें तारीफ करना तो आता नही ।
आप खशबू से भरी तो कोई फूल हैं,
जिसमें भंवरा बनना चाहता हर कोई ।।
आपके खूबसूरत वदन के लिये.....

जुल्फें हैं आपकी बादलों की तरह,
जो गगन से धरा पे हैं आ रहे ।
आपके केश जिसको भी छू जायें अगर,
वे तो मदहोश से तो हुए जा रहे ।।
आपके खूबसूरत वदन के लिये.....

मुखड़ा तो आपका चाँद की ही तरह,
आंखे कजरारे मन को हैं भा रहे ।
कानों के झुमके रह-रह के तो हिल रहे,
जैसे कोई गजल को हों गा रहे ।।
आपके खूबसूरत वदन के लिये.....

गालों का रंग गुलाबी लिए आपका,
नथिया तो नाक का है ललचा रहा ।
मोतियों जैसे तो दांत हैं आपके,
होठ तो आपका है मुस्का रहा ।।
आपके खूबसूरत वदन के लिये....

सीना तो आपका लहरों की तरह,
लोगोँ का धड़कन जिससे बढ़ा जा रहा ।
बलखाती कमर एक झुकी डार सी,
नाभी से तो नशा सा चढ़ा जा रहा ।।
आपके खूबसूरत वदन के लिये.....

हाथों की तो कलाई ऐसे लग रहे,
जैसे कोमल-मुलायम कोई डार हो ।
संगमर्मर की तरह पांव हैं आपके,
चलना नागिन जैसी कोई चाल हो ।।
आपके खूबसूरत वदन के लिये.....

निले सागर सा ढका है वदन आपका,
जिसमें अंग-अंग झलक सा रहा आपका ।
क्या कहूं आपका हुश्न गजब ढा रहा'
दिल तो सागर सा गहरा है आपका ।।
आपके खूबसूरत वदन के लिये.....

आपकी हर अदा पे गिर रही बिजलियां,
हर कोई आज मदहोश हुआ जा रहा ।
कर मैं सकता नहीँ तारीफ आपका,
मुझको भी आपसे प्यार हुआ जा रहा ।।

आपके खूबसूरत वदन के लिये,
हमें तारीफ करना तो आता नही ।
आप खशबू से भरी तो कोई फूल हैं,
जिसमें भंवरा बनना चाहता हर कोई ।।

चित्र: गूगल से सादर लिया गया।

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
(949) mob:9009791406
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
11-06-2015,Thursday,11:00A.M.