ॐ जय गणपति देवा,स्वामी जय गणपति देवा ।
कब से
तुम्हे पुकारे...२, तुम रूठे हो क्या देवा ॥
ॐ जय गणपति देवा.............
मूषक वाहन तुम्हारा प्रभु, शंख,कमल धारी ।
श्रद्धा से तुमको सेवत...२, बालक, नर, नारी ॥
ॐ जय गणपति देवा.............
पिता तुम्हारे शिव जी हैं,और माता पार्वती ।
गौर बदन है तुम्हारा....२, और मुख पे है ज्योति ॥
ॐ जय गणपति देवा.............
भुजा चार अति शोभित,सर पे मुकुट धारी ।
लडुअन कर भोग लगावत...२ , जो तुम्हे है नित प्यारी ॥
ॐ जय गणपति देवा.............
तुम आदि-अनादि,अजन्मा, प्रभु सब के हो स्वामी ।
तुम प्रथम पूज्य सुरगणों मे हो...२ , और तुम अन्तर्यामी ॥
ॐ जय गणपति देवा.............
श्री गणेश का नाम है लेकर, जो काम किये जाते ।
होते हैं काम सब उनके..२ ,जो तुम्हे निश-दिन हैं ध्याते ॥
ॐ जय गणपति देवा,स्वामी जय गणपति देवा ।
कब से
तुम्हे पुकारे...२, तुम रूठे हो क्या देवा ॥
ॐ जय गणपति देवा.............
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
15-09-1999,wednsday,8.30
pm,
chandrapur,maharashtra.