Wednesday 9 October 2013

बलि पूजा भी कोई पूजा है

अपनी खुशियां लौटाने के लिए,
क्यूं पर जीवों का खून बहाते हो !
देवों के नाम पर बलि देकर,
उनके मांस खुद भक्षण कर जाते हो !!

बलि पूजा भी कोई पूजा है,
जहां किसी निर्दोष का जान लिया जाए !
मानवता को कलंकित कर,
पर जीवों का रक्त पिया जाए !!

खुश रखना है भगवान को तो,
दिल मे उनका ध्यान करो !
सात्विक भाव से सदा उनका,
पूजा और गुणगान करो !!

सभी जीवों मे ईश्वर है ,
फ़िर ईश्वर को मारना ठीक नही !
दुआ सदा पावो जग मे,
बददुआ किसी का ठीक नही !!

ईंसानियत धर्म है सबसे बड़ा,
दूजा कोई धर्म नही !
जीवों को सताना महा पाप,
इससे बढ़के कोई दुष्कर्म नही !!

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-०१/०५/२००१,
मंगलवार शाम-.५० बजे,

थोप्पुर घाट, धर्मपुरी,(तमिलनाडु)

देवी स्तुति (अपने बिन्ध्याचल मइया की)


जय-जय कहो,जय कहो,
अपने बिन्ध्याचल मइया की,जय-जय कहो.....

देशवा-बिदेशवा से आवे नर-नारी...
अमीर-गरीब,निर्धन-भिखारी.....
कहें मिल के मइया की..., सब जय कार हो...
अपने बिन्ध्याचल मइया की,जय-जय कहो.....

ध्यान लगावें सब मइया के चरण में ....
दर्शन करके खुश होके लौटें घर मे...
मन की मुराद..२ सबकी पुरी करती वो...
अपने बिन्ध्याचल मइया की जय-जय कहो...

गंगा किनरवां माई क मन्दिरवा...
घंटा क ध्वनि गूंजे होत सबेरवा...
लाल-लाल चुंदरी....२ देख  माई क हो..
अपने बिन्ध्याचल मइया की जय-जय कहो...

भक्तों की भीड़ देख माई मुस्काये.....
अपने अंचरवा से सब को सहलाये...
अंधेरे घरवा को...२ रोशन करती वो...
अपने बिन्ध्याचल मइया की जय-जय कहो...

आदि-अनादि,अजन्मा है मइया...
सबकी पालन हार है मइया.....
भक्तों की अपने लाज...२ रखती है वो..
अपने बिन्ध्याचल मइया की,जय-जय कहो.....

जय-जय कहो,जय कहो,
अपने बिन्ध्याचल मइया की,जय-जय कहो.....

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
30-04-2000,2.20 pm,sunday,
jogapur village,bhadohi