काशी-प्रयाग के मध्य बसा,
पावन सीतामढ़ी नाम का स्थान है ।
जहां सीता माँ धरती मे समाहित हुई,
इसकी महिमा बहुत महान है ॥
गंगा मइया का अनुपम किनारा,
और यहां का वातावरण बहुत मनोरम है ।
सबसे ऊंचे श्री हनुमान जी की प्रतिमा,
जो विश्व मे यह तो अनुपम है ॥
वाराणसी और इलाहाबाद से,
इसकी दूरी लगभग पचास मील की है ।
श्री बाल्मीकि जी का पावन आश्रम,
यहीं पास मे स्थित है ॥
इस धरा की बेटी थी सीता माँ,
जो इस धरा मे ही समाई थी ।
अर्धांगिनी थी ये भगवान राम की,
जो दुष्टों के विनाश हेतु आई थी ॥
दुनिया मे पौराणिक स्थल बहुत से हैं,
पर सीतामढ़ी की महिमा महान है ।
ये हर ढंग से अजब निराला है,
क्योंकि ये माँ सीता का अंत स्थान है ॥
धन्य-धन्य यहां के लोग,
व धन्य-धन्य यहां के वासी ।
धन्य यहां की है धरती,
विन्ध्य-प्रयाग या हो काशी ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
04-10-2013,friday,11:00am(765),
pune,maharashtra.