व्याह गौरा संग रचाने चले हैं ।
उनके मुखड़े की अनुपम है शोभा,
भोले बारात लेकर चले हैं ॥
होके सवार नन्दी पे भोले....
तन भभुती रमाये हुये वो,
डम - डम डमरू बजा वो रहे हैं ।
कर मे त्रिशूल बाबा के सोहे,
भोले देखो तो शरमा रहे हैं ॥
होके सवार नन्दी पे भोले...
भोले बाबा के देखो बराती,
कोई किससे भी कम तो नही है ।
भूत - प्रेत - जोगी और जोगिन,
इनके रूप व रंग कई हैं ॥
होके सवार नन्दी पे....
कोई मोटे ,कोई तो हैं पतले,
कोई पैरों वाले हैं देखो ।
किसी-किसी के तो हाथ नही हैं,
कोई बहुत हाथ वाले है देखो ॥
होके सवार नन्दी पे ........
किसी-किसी के तो कान नही हैं,
कोई बहुत कान वाले हैं भाई ।
किसी-किसी के तो नाक नही हैं,
पर बहुत नाक वाले हैं भाई ॥
होके सवार नन्दी पे........
सभी नाच और कूद रहे हैं,
कोई आवाज़ डर के निकालें ।
उनकी गिनती तो करना है मुश्किल,
वे तो सबसे अलग व निराले ॥
होके सवार नन्दी पे......
कालों के भी महाकाल भोले,
अपनी लीला दिखा तो रहे हैं ।
सबको मोहने वाली है सुरत,
वे तो गिरिज़ा को रिझा जो रहे हैं ॥
होके सवार नन्दी पे भोले,
व्याह गौरा संग रचाने चले हैं ।
उनके मुखड़े की अनुपम है शोभा,
भोले बारात लेकर चले हैं ॥
होके सवार नन्दी पे भोले....
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjalai.blogspot.com
08-06-2013,saturday,
7 pm.
pune.maharashtra