Monday 6 May 2013

हमें महंगाई की भेंट चढ़ा डाला


क्या-क्या सबने सोचा था,
और क्या-क्या सपने देखे थे !
जब ताज पहनाया था सबने उनको,
तब उनकी मुस्कान अनोखे थे !!

ज़हरीली मुस्कान दिखा करके,
वे अपनी नाकामियों को छिपाते रहे !
अंतर्राष्ट्रीय किमतो कि दुहाई देकर,
वस्तुवों के नित दाम बढ़ाते गये !!

प्याज के आंसू रूलाकरके,
हमे मंहगाई की भेंट चढ़ा डाला !
बेकसूर भोली जनता को,
अपनी नाकामी की आग मे जला डाला !!

दया नही है इनके दिल मे,
सदा अपने मित्रों को मनाने मे लगे रहते !
चाहे अपनी प्रतिष्ठा धूमिल हो,
बस अपनी कुर्सी बचाने मे लगे रहते !!

सत्ता सुख को हमसे लेकर,
और हम पर मंहगाई का कफ़न पहना डाला !
पेट्रोलियम पदार्थों कि किमतें बढ़ाकर,
रसोई गैस से हमें जला डाला !!

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक -०२/१०/२००० ,शनिवार ,दोपहर- .३० बजे,
चंद्रपुर (महाराष्ट्र)


आप ऐसे ही पल-पल तो मुस्काइए

पीते हैं गम को आप हसते हुए,
दर्द होता है तो आप मुस्काते हैं !
प्यार से कोई दे यदि ज़हर आपको,
आप हसते हुए उसको पी जाते हैं !!
पीते हैं गम को.............

आप विश्वाश कर लेते जल्द ही,
लोगों की विष भरी बातें पी जाते हैं!
आप हैं कि किसी से भी डरते नही,
बातें करने मे फ़िर आप शर्माते हैं!!
पीते हैं गम को..........

कन्धों पर  आपके भार कितना भी हो,
आप हसते हुए उसको ढो लेते हैं !
दुख भरे आंसू आंखो मे आपके,
आप हसते हुए दिल मे रो लेते हैं !!
पीते हैं गम को.................

आप नाराज होते कभी हैं नही,
आप गुस्से को भी हंस के पी जाते हैं !
आप मायुश भी होते हैं नही,
आप मुस्का के औरों मे रह जाते हैं !!
पीते हैं गम को............

घायल सी कर रही ये अदा आपकी,
आप अपने भी संग मे तो मुस्काइए !
हो मुस्कुराहट भरी जिन्दगी आप की,
आप ऐसे ही पल-पल तो मुस्काइए !!

पीते हैं गम को आप हसते हुए,
दर्द होता है तो आप मुस्काते हैं !
प्यार से कोई दे यदि ज़हर आपको,
आप हसते हुए उसको पी जाते हैं !!

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
                                                             www.kavyapushpanjali.blogspot.com
१९/६/१९९९,शनिवार,शाम ६ बजे,
चन्द्रपुर,महा.



धरती का स्वर्ग कश्मिर हमारा

धरती का स्वर्ग कश्मिर हमारा,
इसकी रक्षा मे हम जान लुटा देंगे!
यह भारत का अभिन्न अंग,
इसके लिए हम शीश कटा देगे!!

शरहद पार से पाकियों ने ,
यहा आतंक मचा के रखा है!
ज़ेहाद का ज़ोशिला नारा देकर,
उन माशूमों को बहका के रखा है!!

निर्दोषों को मार-मार कर,
वह हमारे धैर्य की परीक्षा ले रहा है!
जब भी टकराया,उसने मुंह की खाई,
अभी अपने मौत को न्योता दे रहा है!!



हमसे कई लड़ाइयां हार चुका,
पर उसे तनिक भी शर्म नही आती!
झूठी शान दिखाता है,
उसे ईज्जत की रोटी नही भाती!!

कश्मिर हड़पने की साजिश
हम कभी सफ़ल नही होने देंगे!
आतंक मचाना बंद करो,नही तो,
हम तुम्हे अपने कदमों तले मशल देंगे!!

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-२३/०८/२०००,वुद्धवार शाम-६ बजे,

चंद्रपुर (महाराष्ट्र)

रबड़ी तो केवल रबर स्टाम्प थी

लोक तन्त्र नही था बिहार  मे,
वहां लालू तन्त्र का बोल-बाला था
रबड़ी तो केवल रबर स्टाम्प थी,
वहां हर जगह लालू का घोटाला था॥

चोरी और सीना -जोरी कि राह पे ,
लालू जी वहां पर चलते थे
दोषी होकर के भी ,
निर्दोष होने का दम वो भरते थे

यह कैसा लोकतन्त्र ,
जहां अपराधियों को ताज पहनाया जाता।
ऐसे पापियों को सजा के बदले ,
उनका जय-जय कार बुलाया जाता॥

पकड़े जाने पर जेलों मे इन्हे,
एक घर जमाई की तरह पाला जाता
इन्हे पुलिसिया डंडे के बदले ,
ताबड़ -तोड़ सलाम मारा जाता

असली कसुरवार तो हम ही हैं,
जो हम ऐसे लोगो को चुनते हैं।
अपने किमती वोटों का दुरुपयोग कर,
अपने लिये मौत का कफ़न हम बुनते हैं॥

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
रचनांकन दिनांक -२१--२०११
रायपुर