Sunday 27 November 2011

गजल(आते-आते हुए तुम दूर क्यु चले जाते)



कर्ज चाहे जितना भी हो,और किसी का वादा हो!
सकता है चुका उन कर्जो को,देने की यदि ईरादा हो!!


आते-आते हुए तुम दूर क्यु चले जाते!
दिखा-दिखा के मुझे तुम,अलोप क्यु हो जाते!!
दिखा -दिखा के..................
हमसे क्या भुल हुई है ऐसी सजा देते!
ये राज हमको बता दो ,जिसे हम अमझ लेते!!
आते-आते........................
हजार अरमा सजाए हुए मै बैठी हु!
मगर मुझे नही मालुम की मै कैसी हु!!
आते-आते.........................
इन महलो मे अकेली मै पड़ी रहती!
मै दिल मे अपने कसक को सहती रहती!!
आते-आते......................
ये शाम आज मुझे दर्द दे रहा है!
अंधेरी रात के आने से रो रहा है!!
आते-आते.......................
मुझे हर चीज मे चेहरा तेरा नजर आता!
ये मेरा दिल जो मदहोश ही हुआ जाता!!
आते-आते..............
इन रोशनदानो सेतुमको मै झाकती रहती!
तुम जिधर से भी आवोगे मै ताकती रहती!!
आते-आते........................
तुम्हारे बिन ये घुघुरु कभी नही बजते!
पिया तुम्हारे बगैर हम कभी नही सजते!!
आते-आते.....................
कभी-कभी छत पर से मै देखती हु तुम्हे!
पर शहर के लोग कसे देखते है मुझे!!
आते-आते.....................
मेरे दिल मे जो है तड़प,मै कह नही सकती!
इस अन्जाने शहर मे,मै रह नही सकती!!
आते-आते...................
अब तो आवो पिया मुझे तुम ना तड़पावो!
तरस रही हु तेरे प्यार को,ना तरसावो!!
आते-आते..........................
आते-आते तुम दूर ......................

मोहन श्रीवास्तव
दिनांक-१६/८/१९९१ ,शुक्रवार ,शाम ७.२५ बजे,
एन.टी.पी.सी.दादरी ,गाजियाबाद (उ.प्र.)

तिरंगा

खुश रहे तिरंगा प्यारा,खुश रहे तिरंगा प्यारा...

यह भारत की शान है,यह भारत की आन है !
इसकी छाया मे ही अपना सारा हिन्दुस्तान है !!

बड़े-बड़े जो बीर पुरुष थे,वे इसकी भेट  चढ़े हैं !
इसकी रक्षा मे ,करोणों लोग खड़े हैं !!
भारत का यह सितारा ,खुश रहे तिरंगा प्यारा...

लहर-लहर लहरा के, शान बढ़ाए हमारा
संदेश दे रहा जग को,सत्य,अहिंसा-भाई -चारा
खुश रहे तिरंगा..................

इस झंण्डे के ओर कोई भी ,बुरी नजर से देखेगा
सर को कुचल देंगे हम उसके,सारा जग जिसे देखेगा
खुश रहे तिरंगा....................

बापू-सुभाष-आजाद-भगत सिंह,उन सब की है ये बिरासत
इसकी रक्षा मे हम कर देगे,अपने प्राण निछावर
खुश रहे तिरंगा..............................

बहुत बड़ी मुश्किल से मुझको, मेरा तिरंगा मिला है
सबका दिल है मगन आज,ये भी फूलों सा खिला है
खुश रहे तिरंगा........................

शत-शत बार नमन है इसको, शत -शत बार प्रणाम मेरा
दिल से हमारी यही दुआ है,उचा होवे नाम तेरा
खुश रहे तिरंगा प्यारा..............................

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-१६//१९९१ ,शुक्रवार,शाम- .१५ बजे,

एन.टी.पी.सी. ,दादरी ,गाजियाबाद(.प्र.)

 

पत्र (पति का पत्नी को)

सुमिरन करके माँ काली का,खत को लिख रहा हूं तुझको !
चंद शब्द तेरे लिए,अर्पण कर रहा हूं तुझको !!

मेरी प्राण प्यारी प्राणेश्वरि तुम ,मेरे दिल मे बसने वाली !
सदा सोहागिनि तुम होवो,तेरे होठों पे रहे लाली !!

खत मुझे मिला,मै पढ़ा बहुत,तेरे खत को पढ़ता ही गया !
खत को पढ़ते-पढ़्ते तेरे अपने दिल मे हसता ही गया !!

मुझे खुशी मिली,सुख चैन मिला,आराम मिला खत को पढ़कर !
अपने ही खत के माध्यम से,याद आई मुझे तुम जी भरकर !!

खत मे घर पर आने के लिए कई बार लिखी तुम चले आवो !
पर घर सकता नही अभी, अपने दिल को तुम समझावो !!

वर्षा ॠतु का ये समय भी है,ॠतुएं प्यारी सी लगती है !
पर बिन तेरे प्यारी सजनी, सब कुछ अधियारी दिखती है !!

दिन-रात सोचता हु तुझको, याद आती हो कई बार मुझे !
मेरे दिल मे तुम बसने वाली,याद आती हो सौ बार मुझे !!

सुरज की चन्दा जैसी हो,मोहन की तुम राधा लगती !
तुम कली फ़ूल की ऐसी हो, जो सदा-सदा ही खिली रहती !!

मै पक्षी होता तो सजनी ,उड़कर तेरे पास चला आता !
अपनी दिल रुबा से मिल कर के,खुश हो के वापस जाता !!

देखो अब अपनी मुलाकात,कब होगा और कहा कैसे !
मेरा मन नही लगता है प्यारी,दिल को संभाले हम कैसे !!

इसे संभालना बहुत कठिन,ये रोके नही रुका जाता !
ये खुशुबु पाकर के ही शीघ्र,उसकी ही तरफ़ ये झुका जाता !!

अब बहुत लिख दिया है मैने अपने रहने के बारे मे !
अब तुम समझ गई होगी,मेरे जीवन के बारे मे !!

समाचार सब ठीक यहां का,कोई नई खबर देना !
मेरे खत को पढ़ करके,जल्दी से खत तुम लिख देना !!

तेरे दिल बहार दिल कश खुशुबू तेरी यादों मे रहने वाला !
तेरा प्राण पति परदेशी है,इस पुरे खत को लिखने वाला !!

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-१३//१९९१ ,मंगलवार ,रात .१५ बजे,

एन.टी.पी.सी.दादरी ,गाजियाबाद (.प्र.)