Wednesday 23 November 2011

गजल(उदास दिल है तेरा)


तुम्हारी उदासी का राज क्या हो सकता है
तुम निराश हो इस समय मुझे ऐसा लगता!
ये वक्त है किमती इसे यु ना गवावो
आलस को छोड़कर अब होश मे तो आवो!!


उदास दिल है तेरा और उदास ही चेहरा!
अब भी अपने को अभालो यही है फ़र्ज तेरा!!
उदास.....
तुम अपने से गुलामी मे बध रहे हो क्यु!
तुम्हे नही है अकल कि क्या मै कैसे रहू!!
उदास...
सोचने से तो ये वक्त गुजर जाता है!
गया हुआ ये समय फ़िर नही आता है!!
उदास,,,
इसलिए तुम अभी से इंषान बन जावो!
तुम्हारे को कोई रोके तो तुफ़ान बन जावो!!
उदास...
किसी से हम नही है कम ये बात दिल मे रखो!
हम होगे कामयाब ये बात दिल मे रखो!!
उदास..
आलसी हम नही बनेगे ये मेरा वादा!
करेगे काम अभी से ये मेरा वादा!!
उदस..
ऐसे अनमोल समय को बिता दिया सोकर!
अब फ़ौलाद बनो तुम नही जीवो रोकर!!
उदास..
तेरी बाहो मे इतनी ताकत है अभी!
कर सकते ये हाथ तेरे सब काम सभी!!
उदास...
जिन्दगी मे आलस है मिठा सा जहर !
इसलिए तुम इसे छोड़ो,बनो उचा सा लहर!!
उदास..
तुमसे है मेरी छोटी सी अरज यारो!.
ठान लो नही किसी से कम हम यारो!!
उदास दिल है तेरा....

मोहन श्रीवास्तव
दिनांक-१३/७/१९९१ ,शनिवार,शाम-५.२५ बजे,
एन.टी.पी.सी.दादरी ,गाजियाबाद (उ.प्र.)

) मे्रे सजन तुम रुठो ना, मै तेरे पास रहुंगी!


मेरे सजन तुम रुठो ना, मै तेरे पास रहुंगी!

चाहे जो तुम मुझ पर करोगे,मै सब कुछ सहुंगी!!
तेरे लिए मैने सब कुछ छोड़ा ,कोई सहारा न मेरा!
आज मै कितनी खुश्किश्मत हु जो पाया साथ मै तेरा!!
तेरे बिना मै नही रह सकती,बिन तेरे मर जाउंगी!
अओ मेरे बालम जावोगे तुम जहा,वही मै भी जाउंगी!!
अओ मेरे सजना मै ना भुलू तेरी इक बात !
य्यद आती है वो प्रीतम जिवन की वो पहली रात!!
उस तुम मुझे बाहो मे लेकर, के-इए थे कितने वादे!
आज जैसे रह गया सब कुछ बिती हुई इक यादे!!
मेरे पिया तुम जब से गए हो ,इक भी खत न दिया!
तेरे खत के सहारे मै कुछ दिन, जी लेती मै पिया!!
मिठी-मिठी तेरी बाते शर्मिले कितने हो तुम!
तेरी अदा का जवाब नही है,कितने रसीले हो तुम!!
जीवन मे पहली बर मिले जब ,दोनो के मुह सिले थे!
लेकिन दुसरी बार मिले जब दोनो ही हम खिले थे!!
सावन-भादो-क्वार-कार्तिक-पूष या फ़ागुन का महिना!
बिन तेरे पिया मै रह नही सकती,तेरे बगैर नही जीना!!
मै चन्दा तुम हो सुरज, मै धरती तुम आकाश!
जैसे जल बिन मछली का है,वैसे पिया मेरा हाल!!
आखिर मे मेरी यही दुआ है,जहा भी तुम रहना!
मेरे बलम खुश होके रहना ,कोई तुम्हे कुछ कहे ना!!
मेरे सजन तुम रुठो ना,मै तेरे पास रहुंगी!
चाहे जो तुम मुझ पर करोगे,मै सब कुछ को सहुंगी.....

मोहन श्रीवास्तव
दिनांक-११/७/१९९१,बॄहस्पतिवार,शाम -६.३५ बजे,
एन.टी.पी.सी.,दादरी .गाजियाबाद (उ.प्र.)