एक नहीं सौ-सौ दुर्गा,
जो इस देश पे, मर-मिट जाती हैं ।
अपनी कर्तव्य, परायणता से,
वे पीछे कदम, नहीं हटाती हैं ॥
आंधी नही, तूफान हैं ये,
अब इन्हें रोकना ,मुश्किल होगा ।
ये भारत की, शान हैं वे,
इन्हें अपमानित करना, मुश्किल होगा ॥
वीरों की धरती है ये,
यहां कई वीर, पैदा होते ।
अपने प्राणों की, बाजी लगा,
वे ऐसे ही काम, किया करते ॥
हमें गर्व हो ऐसे लोगों पर,
जो अपना सही, कर्तव्य निभाते हैं ।
पर उनको ईनाम, के बदले,
उन पर ऐसे ही जुल्म, ढहाए जाते हैं ॥
पर सही राह पे, चलना है तो,
उन्हें ऐसे ही अग्नि परीक्षा से, गुजरना पड़ता ।
पर सत्यमेव जयते, भी उसी की,
और हमें और बहादुर, बनना पडता ॥
हमें ऐसे लोगों के, सम्मान हेतु,
दिल खोलकर, सामने आना होगा ।
सरकारों के साथ हमें,
उन्हें उचित न्याय, दिलाना होगा ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
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03-08-2013,4am,saturday,
pune,m.h.